राजनांदगांव5 घंटे पहले
नगर निगम में महापौर हेमा देशमुख गुरुवार को अपने कार्यकाल का तीसरा बजट पेश करेंगी। लोगों में शहर सरकार से बेहतर सौगात की उम्मीद है। लेकिन फंड के अभाव ने पिछले कामों पर ही ब्रेक लगा रखा है। बीते साल के बजट के ज्यादातर काम शुरू ही नहीं हो सके हैं। वजह शासन से फंड नहीं मिलना है। ऐसे में नए बजट में फिर से पुराने कामों को दोहराने की तैयारी दिख रही है।
साल 2021-22 के बजट में महापौर ने 27 बिंदु पर काम शामिल किए थे। इसमें मेट्रो सिटी की तर्ज पर वाटर पार्क बनाने, वाटर रेस्टोरेंट, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, रानी सागर में राम-सिया घाट, पॉली क्रेक प्रक्रिया से डीजल निर्माण, निगम का पेट्रोल पंप, कर्मचारियों के लिए भूखंड सहित कई अहम कार्य शामिल थे।
लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी इनमें से ज्यादातर काम की शुरुआत तक नहीं हो सकी है। सरकारी योजनाओं और अधोसंरचना मद के तहत हो रहे काम को छोड़ दें तो बीते बजट के शेष सभी काम फंड का इंतजार कर रही है। पूरा साल बीत जाने के बाद भी यह वादे और दावे एक इंच आगे नहीं बढ़ सके हैं। इधर शहर में पेयजल की समस्या बरकार है। इस भीषण गर्मी में वार्डों में पेयजल की समस्या से लोग जूझ रहे हैं। विशेषकर आउटर के वार्डों में पर्याप्त टैंकर भी नहीं पहुंच रहा है।
हर माह ढाई करोड़ वेतन दे रहे, आय बढ़ाने उपाय नहीं
नगर निगम का आय बढ़ाने के लिए बीते बजट में पेट्रोल पंप लगाने, महिला समृद्धि बाजार सहित कई काम शामिल किए गए थे। लेकिन इन कामों में भी कोई प्रगति अब तक नहीं हो सकी है। हालांकि पेट्रोल पंप के लिए फाइनल एनओसी ही शेष होने का दावा किया जा रहा है। हालात यह है कि निगम सिर्फ टैक्स वसूली के भरोसे ही है। इसके चलते कर्मचारियों को सैलरी देने तक में दिक्कत आ रही है। हर माह ढाई करोड़ रुपए सैलरी में बंटता है। जबकि सालभर में केवल 14 करोड़ रुपए ही टैक्स से वसूला जा सका है। जबकि निगम ने टैक्स वसूलने के लिए वार्डों में शिविर भी लगाए हैं।
बजट में शामिल रहे कुछ अहम काम, जानिए इनकी जमीनी हकीकत
शॉपिंग कॉम्पलेक्स: पुत्री शाला परिसर में मल्टीस्टोरी शाॅपिंग कॉम्पलेक्स बनाने का काम भी बीते बजट में शामिल किया गया था, इसके लिए 9 करोड़ खर्च करने का दावा था। यहां एक ईंट तक नहीं रखी जा सकती है। यही हाल आयुर्वेदिक औषधालय में शॉपिंग कॉम्पलेक्स का है।
वाटर पार्क: मेट्रो सिटी की तर्ज पर आनंद वाटिका में वाटर पार्क बनाने की तैयारी थी। लोगों के मनोरंजन के लिए इसमें अहम सौगात बताया गया था। लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी है। पुरानी व्यवस्था से ही लोग अपना मनोरंजन कर रहे हैं।
राम-सिया घाट: रानी सागर में राम घाट और सिया घाट प्रस्तावित है। इसके लिए 10 लाख खर्च होना था। लेकिन मौके पर केवल पुरानी दीवारों का संधारण और रंगरोगन ही किया गया है। घाट में नई सुविधा या व्यवस्था नहीं हैं। पुरानी दीवारों का रंगरोगन कर दिया गया है।
कर्मचारी भूखंड : बीते बजट में नगर निगम के कर्मचारियों के लिए सस्ता आवासीय भूखंड उपलब्ध करने का प्रस्ताव शामिल किया गया था। लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी अब तक भूखंड तक चयनित नहीं हो सका है। कर्मचारियों की यह उम्मीद भी टूट सी गई है।
वाटर रेस्टोरेंट: बूढ़ा सागर तालाब में चलित वाटर रेस्टोरेंट बनाने का दावा था। इसके लिए एक करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही गई थी। लेकिन बूढ़ा सागर में वर्तमान में एक बोट तक नहीं चल सकी है। फिलहाल वाटर रेस्टोरेंट के लिए कोई तैयारी भी नहीं है।
डीजल निर्माण: ट्रेंचिंग ग्राउंड में एकत्रित होने वाले पॉलीथिन व प्लास्टिक बॉटल से पॉली क्रेक प्रक्रिया से डीजल बनाने का दावा था। इसके लिए 6 करोड़ रुपए खर्च करने का प्रावधान रखा गया था। लेकिन अब तक इस प्रोजेक्ट में भी कोई पहल नहीं हो सकी है।
शहर को टैंकर मुक्त करने का सपना अधूरा
महापौर 12 मई को तीसरा बजट पेश करेंगी। इसमें बस स्टैंड में पालिका बाजार का निर्माण एक बड़े काम के रूप में शामिल रहेगा। इसके अलावा पूर्व के अटके हुए कामों को दोबारा बजट में शामिल किया जा सकता है। इसका खाका तैयार कर लिया गया है। इधर शहर को टैंकर मुक्त बनाने का सपना भी अधूरा ही रह गया है। इस गर्मी में हर घर नल से पानी सप्लाई का दावा था, लेकिन समय पर काम पूरा नहीं होने के चलते 80 टैंकरों से वार्डों में सप्लाई दी जा रही है। विशेषकर आउटर के वार्डों में लोग पेयजल की भीषण समस्या से जूझ रहे हैं। अंदरूनी वार्डों मेें भी पानी की समस्या बनी हुई है।
सिर्फ 10 करोड़ मिले
बजट में शामिल कामों का शुरू नहीं होने की वजह फंड का अभाव है। बजट सभा के बाद सभी कामों का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा गया था। सरकार की ओर से फंड जारी नहीं किया गया। बीते साल निगम को अंधोसंरचना मद से 5 करोड़ और राज्य परिवर्तित मद के तहत 5 करोड़ रुपए ही मिल सका है। इसी से नाली, सड़क, मुक्तिधाम उन्नयन हो रहे हैं।
फंड लाने में विफल रही
बजट जिन कामों का प्रस्ताव बनाकर महापौर ने शासन को भेजा था, उनमें से किसी भी काम के लिए राशि नहीं मिली है। एक तरह से सरकार ने उनके कामों को रिजेक्ट कर दिया है। महापौर अपने ही सरकार से शहर विकास के लिए फंड लाने में विफल रही है। शहर के विकास पर ब्रेक लगा हुआ है।
किशुन यदु, नेता प्रतिपक्ष, नगर निगम
फंड की कोई कमी नहीं
शहर विकास के लिए फंड की कोई कमी नहीं हैं। हमने खेल मैदान, मुक्तिधाम की मरम्मत, सड़क, नाली, गढ़ कलेवा जैसे बजट में शामिल किए काम पूरे कर लिए हैं। प्रस्तावित सम्मान समारोह व दूसरे आयोजन भी किए जा चुके हैं। शेष कामों की स्वीकृति भी शासन से मिल चुकी है। जो जल्द शुरू होंगे। नए बजट में भी कई महत्वपूर्ण काम शामिल किए जा रहे हैं।
हेमा देशमुख, महापौर

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