संघ स्वयंसेवक का जीवन त्याग और तपस्या का प्रतीक है- दिलेश्वर उमरे
त्वरित खबरें निशा विश्वास ब्यूरो प्रमुख रिर्पोटिंग

संघ स्वयंसेवक का जीवन त्याग और तपस्या का प्रतीक है- दिलेश्वर उमरे

शताब्दी उत्सव में देशभक्ति का सैलाब: जेवरा मंडल 

में स्वयंसेवकों का अनुशासित पथ संचलन

भिलाई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के सौ वर्ष पूर्ण होने पर जेवरा मंडल देशभक्ति के रंग में रंग गया। शताब्दी वर्ष के इस ऐतिहासिक अवसर पर मंडल के नौ गांव जेवरा, सिरसा, भटगांव, कुटेलाभाठा, खपरी, चिखली, समोदा और कचांदुर के स्वयंसेवकों ने अनुशासन और उत्साह का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। पूर्ण गणवेश में सुसज्जित स्वयंसेवक साजर राउत देवालय प्रांगण से कदमताल करते निकले तो हर गली, हर चौक ‘भारत माता की जय’ के नारों से गूंज उठा।

करीब तीन किलोमीटर लंबे इस पथ संचलन ने जनमानस को अभिभूत कर दिया। मार्ग के दोनों ओर लोग उमड़े पड़े, छतों से पुष्पवर्षा होती रही, तो कहीं रंगोलियों और तोरणद्वारों से स्वयंसेवकों का स्वागत किया गया। देशभक्ति गीतों की धुन पर आगे बढ़ते स्वयंसेवक एकता, अनुशासन और राष्ट्रप्रेम का जीवंत प्रतीक बन गए।

समारोह के मुख्य वक्ता आरएसएस दुर्ग विभाग सहकार्यवाह दिलेश्वर उमरे ने संघ की 100 वर्ष की तपस्या और डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार के जीवनवृत्त का प्रेरक उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह शताब्दी यात्रा छह सरसंघचालकों की साधना का फल है—हेडगेवार की नींव, गुरुजी का विस्तार, देवरस की सेवा, रज्जू भैया का विदेश विस्तार, सुदर्शन का स्वदेशी आग्रह और भागवत का समरसता संदेश इसकी धुरी हैं। उन्होंने इस यात्रा को संगठन शक्ति, आत्मगौरव और समरसता का उत्सव बताया।

मुख्य अतिथि शिक्षाविद एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य एस.पी. सार्वे ने कहा, “आरएसएस वह संगठन है जिसने तूफानों में भी दीपक जलाए रखे।” उन्होंने संघ को समरसता और एकता का प्रतीक बताया। अध्यक्षता दुर्ग विकासखंड संघ संचालक सुनील कुंभकार ने की। इस अवसर पर प्रचार प्रमुख निकश साहू, शारीरिक प्रमुख दुलेश्वर वर्मा, किसान संघ जिलाध्यक्ष लोकेंद्र बंछोर सहित सैकड़ों स्वयंसेवकों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को ऐतिहासिक बना दिया।

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