शिक्षक राष्ट्र निर्माता एवं वसुदैव कुटुंबकम का ज्ञान करता है...
त्वरित खबरें राहुल ओझा ब्यूरो प्रमुख रिर्पोटिंग

शिक्षक राष्ट्र निर्माता एवं वसुदैव कुटुंबकम का ज्ञान करता है...

*शिक्षक राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाते हैं वे समाज की बुनियादी इकाई को सशक्त बनाते हुए विद्यार्थियों के  चरित्र; नैतिकता और राष्ट्रीय भावना को विकसित करते हैं ।यदि शिक्षक जन समुदायों का प्रेरणा स्रोत बन जाए तो किसी भी समस्या का हल किया जा सकता है।*

विगत वर्षों से हमारे कर्णधारों ने देश को विकसित राष्ट्र देशों की सूची में ला खड़ा करने की बात लगातार कर रही है ।बीते लगभग एक दशक से हासिल हो रही , अच्छी विकास दर को इसी आशयका संकेत  कहकर प्रचारितभी किया जा रहा है। जिसका लक्ष्य 2047 तक है। लेकिन वास्तविक स्थिति क्या है? एक तरफा  था तथा असंतुलित विकास के कारण आम लोगों को इस तथा कथित युद्व स्तर पर हो रहे हैं। विकास में भागीदारी मिल रही है।

भारती दंड विधान के रचयिता मैकाले ने 1835 में इंग्लैंड की संसद में कहा था कि मैं भारत का भ्रमण किया है। मुझे पूरे देश में समृद्धि दिखाई दी है कोई भिखारी नहीं दिखाई दिया यदि भारत को तबाह करना है तो उसकी समझ की जड़ों अर्थात भारत की शिक्षा व्यवस्था को तबाह करना होगा ।मैकाले की तीक्ष्ण बुद्धि भारतीय न्यायालयों में कुर्राती रहती है ।आतंकवाद और नक्सलवाद खत्म करने की आड़ में इतने कड़े गैर लोकतांत्रिक और असंवैधानिक कानून बना रखे हैं जो हिंसक अपराधियों को तो पकड़ नहीं पाते लेकिन दर्जी , डॉक्टर , वकील, शिक्षक तथा छात्रों की गर्दन नापने के काम में मुस्तैद है।अंग्रेज मर गए औलाद छोड़ गए। अंग्रेज मर गए का आशय भारत छोड़कर चले गए और औलाद छोड़ गए का आशय अपने कानूनों , परंपराओं , प्रशासन, और शिक्षा के उसे कूड़ा घर से है जो भारतीय जीवन में सड़ांधकी आधुनिक फैक्ट्री है। भारत में ब्रिटिश संसद की नकल की गई।

आज जीवन के हर क्षेत्र में अनुशासन की आवश्यकता है विद्यार्थी ही राष्ट्र के कर्णधार भावी नागरिक होता है। भविष्य की आशाएं है। राष्ट्र की नैया खोने वाला नाविक है। और वे दिशा हीन होते जा रहे हैं। वह देश जो गुरु का अवमूल्यन करता है, जीने का हकदार नहीं होता। शिक्षा हमारे राष्ट्रीय जीवन की वह शिरा है जिसने शिक्षक की अस्मिता और चरित्र का खून सदैव बढ़ते रहना चाहिए।

सृजनात्मक कार्य हमारे बौद्धिक दक्षता को पुख्ता बनता है । और संवेदनशीलता को परिष्कृत करता है। साथ ही वह ज्ञान-विज्ञान को भी समृद्धि करता है। समाज  में शिक्षकों का स्थान काफी सम्मानजनक होता है। जिन्हें बच्चों से लेकर बूढ़ों तक नमन करके अपने को धन्य समझते हैं।

विचार संसार की सबसे महान शक्ति है। विचारों से जीवन की धारा बदली जा सकती है। संसार को बदला जा सकता है। विचारों की इसी शक्ति को एकाग्र करके जीवन की समस्त बधाओं और मुश्किलातों को दूर करके वांछित सफलता प्राप्त की जा सकती है।

हमारे विचार व्यक्तित्व के साथ-साथ भविष्य का भी निर्माण करते हैं। लेकिन जब तक हम अपने विचारों की ताकत नहीं पहचानेंगे उन्हें कैसे अपने जीवन में ढालेंगे। इसीलिए विचारों को सकारात्मक परिणाम में बदलने के लिए उन्हें कार्य रूप देना जरूरी है। जिन्हें शिक्षक राष्ट्रीय एवं समाज का सर्वांगीण विकास में सहयोग करके करते हैं।

शिक्षक हमारे देश के भविष्य निर्माता है। शिक्षक एक ऐसा व्यक्ति है जो आने वाला पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर है। राष्ट्र निर्माण में नैतिक नेतृत्व की भूमिका नागरिकों में विश्वास अखंडता और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना पैदा करना है। जिससे एक मजबूत और न्याय पूर्ण समाज का निर्माण होता है। शिक्षक को निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जुनून और उत्साह एवं हमारे युवा पीढीं के जीवन और मन को आकार देकर हमारे राष्ट्र  के लिए योगदान दे सकते हैं ,जिससे विश्व की एकता अखंडता एवं वसुदेव कुटुंबकम को शिरोधार्य कर अपने कर्तव्य से अडिग  हैं।

ऐसे में मेरे लिए एक शिक्षक कहलाना सम्मान का पद है।  शिक्षा का उद्देश्य कौशल और विशेषज्ञता  के साथ अच्छे इंसान बनाना है ,एक प्रबुद्व इंसान शिक्षकों द्वारा बनाया जा सकते हैं। शिक्षक को केवल ज्ञान पर नहीं बल्कि छात्रों के चरित्र निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।  *ए.पी.जे. अब्दुल कलाम* 

 *डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन* भारत की प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति रहे । एक प्रख्यात शिक्षाविद् , दार्शनिक और राजनेता थे जिनके दर्शन और भारतीय संस्कृति के योगदान के कारण सर्वोच्च सम्मान 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। जिसे 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज शिक्षक कार्य स्थल के साथ-साथ सरकार के विभिन्न योजनाओं को भी धरातल में समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति तक पहुंचाने का कार्य करते हैं। शिक्षक दार्शनिक उच्च शिक्षा में योगदान के साथ-साथ वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत को छात्रों को वैश्विक नागरिकता की भावना भरकर विभिन्न संस्कृतियों को समझने और स्वीकार करने के लिए प्रेरित कर संविधान के प्रति जिम्मेदारी 

एवं करुणा सीखाकर निभाते हैं। छात्रों को समग्र मानवीय विकास एवं दुनिया में शांति स्थापित करने में महत्व को समझाते हैं।

वसुदेव कुटुंबकम का शाब्दिक अर्थ है संपूर्ण विश्व एक परिवार है। सिद्धांत प्राचीन भारतीय दर्शन का अभिन्न हिस्सा है।

                   (आलेख)

              *लेखराम वर्मा*

    राष्ट्र पति पुरस्कृत शिक्षक 

   शासकीय हाई स्कूल सेंदरी 

   विकास खण्ड डोंगरगढ़ 

   जिला राजनांदगांव 

 Mob. no. - 9981180036

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