भिलाई। प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक और लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती पर दाऊ मंदराजी राज्य अलंकरण से उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन व अन्य विभूतियों ने राजधानी रायपुर में सम्मानित किया। सम्मान से गदगद रिखी क्षत्रिय का कहना है कि विगत 5 दशक से लगातार किए जा रहे उनके काम का यह उचित मूल्यांकन है और यह सम्मान उनकी कला को मिला है। उल्लेखनीय है कि भिलाई स्टील प्लांट से रिटायर कर्मी और प्रख्यात लोक कलाकार रिखी क्षत्रिय विगत 5 दशक से आदिवासी और दूरदराज के अंचल में घूम-घूम कर दुर्लभ लोकवाद्यों का संग्रह कर रहे हैं। वहीं उन्होंने छत्तीसगढ़ के 52 लोक नृत्यों का संवर्धन भी किया है। इनमें से ज्यादातर लोक नृत्य लुप्तप्राय थे। उन्होंने मरोदा सेक्टर में लोक वाद्य संग्रहालय की स्थापना भी की है, जहां उनके संग्रहित दुर्लभ लोकवाद्य देखे जा सकते हैं। रिखी क्षत्रिय के इस संग्रह की प्रदर्शनी छत्तीसगढ़ और देश के विभिन्न हिस्सों में लगाई जा चुकी है, जिसमें देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और कई गणमान्य विशिष्टजन उनके दुर्लभ लोकवाद्यों को देख चुके हैं। इन सभी गणमान्य लोगों ने रिखी क्षत्रिय के इस उल्लेखनीय कार्य की हमेशा तारीफ की है। इसके अलावा रिखी क्षत्रिय सन 2000 से 2024 के बीच में अब तक 10 बार गणतंत्र दिवस राष्ट्रीय समारोह में नई दिल्ली कर्तव्य पथ पर छत्तीसगढ़ की झांकी का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। हाल ही में रिखी क्षत्रिय ने गुजरात में राष्ट्रीय एकता दिवस पर भी छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व किया था।तमाम उपलब्धियों के साथ रिखी क्षत्रिय को राज्य अलंकरण से विभूषित किया गया है। राजधानी से सम्मान लेकर लौटने के बाद रिखी क्षत्रिय ने समस्त छत्तीसगढ़ का आभार जताया है। उन्होंने कहा कि यह सम्मान सिर्फ उनका नहीं बल्कि उनके साथ जुड़े सभी कलाकारों का है। रिखी क्षत्रिय ने कहा कि राज्य स्तरीय सम्मान से उन्हें भविष्य में लोककला के क्षेत्र में और भी बेहतर योगदान देने प्रोत्साहन मिला है। समारोह में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉक्टर रमन सिंह और अन्य गणमान्य उपस्थित थे|
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