संत कवि तुलसीदास व कथा सम्राट प्रेमचंद की कृतियों पर सुंदरा में हुई परिचर्चा...
राजनांदगांव I निकटस्थ ग्राम सुंदरा में साकेत साहित्य परिषद द्वारा कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद व संत कवि गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती प्रसंग पर साहित्यिक परिचर्चा एवं श्रावणी काव्य- गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छ०ग० राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक,वरिष्ठ कवि/ साहित्यकार- आत्माराम कोशा " अमात्य" जी थे । अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कुबेर सिंह साहू ने की। इस अवसर पर साहित्य परिषद के अध्यक्ष ओमप्रकाश अंकुर ने प्रासंगिक विषय पर आधार वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए दोनों मूर्धन्य जनों की कृतियो को कालजयी और सामाजोपयोगी बताया। अर्जुनी से पधारे हास्य/ व्यंग्य के कवि वीरेंद्र तिवारी "वीरु" ने संत कवि तुलसीदास जी के दोहे- चौपाईयों पर कुछ विरोधी मत रखने वालो को रेखांकित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आत्माराम कोशा "अमात्य" ने कहा कि हर कवि साहित्यकार अपने तत्कालीन समाज की उपज होता है। तुलसी दास जी के समय में मुगलों की गुलामी झेल रहे समाज और कर्तव्य विमुख हो चुके लोगों को जगाने के लिए उन्होंने लोक भाषा अवधी में श्री रामचरित मानस की रचना की। संत कवि तुलसीदास जी के पाठक आम जन सहित पढ़ें लिखे लोग, विद्वत समाज सभी जन है जबकि प्रेमचंद के पाठक बौद्धिक वर्ग के लोग है। तुलसीदास जी के मानस के पात्र सभी जनों को मुखाग्र याद है। दोहा-चौपाईयों लोगों के मुंह में धरी होती है वहीं प्रेमचंद की कृति गोदान के पात्र होरी- धनिया, कफ़न के घीसू -माधव, इदगाह के हमीद व पंच- परमेश्वर के अलगु चौधरी बौध्दिक वर्ग में ही जाना जाता है। श्री कोशा ने विभिन्न उदाहरणो से मुंशी प्रेमचंद को संत कवि तुलसीदास जी का आधुनिक संस्करण निरुपित किया।
गांधी जी के विचारों से प्रभावित रहे प्रेमचंद जी I
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुबेर साहू ने मुंशी प्रेमचंद की कृति कफ़न, सती,मंत्र गोदान, इस्तीफा आदि सहित अनमोल रत्न कहानी पर विस्तृत चर्चा की और कहा कि प्रेमचंद जी ने प्रारंभिक दौर में आदर्शोंन्मुखी तत्पश्चात यथार्थ परक कहानियां लिखकर समाज की विषमताओं को उजागर किया। वे गांधी जी के विचारों से प्रभावित रहे।
विशिष्ट अतिथि के रुप में व्यंग्य धर्मी गिरीश ठक्कर स्वर्गीय ने गोस्वामी तुलसीदास बनाम प्रेमचंद की बात कही, वहीं डा० चंद्रशेखर शर्मा ने गोस्वामी तुलसीदास व प्रेमचंद को अपनी लेखनी के माध्यम से समाज में नई चेतना जागृत करने वाला तथा हिन्दी साहित्य को समृद्ध करने वाला बताया। कथाकार/ कवि मानसिंह "मौलिक" ने तुलसी दास जी को लोकनायक व समन्वयवादी संत कवि कहा वही प्रेमचंद को शोषित पीड़ित किसानों व स्त्री जाति की आवाज उठाने वाला महान साहित्यकार बताया।आलोचक के रूप में उभर रहे कवि महेंद्र कुमार बघेल "मधु " और अलग राम यादव ने संत कवि तुलसीदास और कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी को नमन कर उन्हे भारतीय समाज को दिशा देने वाला कहा। प्रथम सत्र के वैचारिक आयोजन का प्रबुद्धमय संचालन कवि / उद्घोषक लखन लाल साहू"लहर" ने किया।
रामराज ल, देश दिए निकारा हे I
ग्राम्य कवि पवन यादव "पहुना" के संयोजकत्व में ग्राम सुंदरा में आयोजित दूसरे सत्र के श्रावणी काव्य गोष्ठी का रसमय संचालन वीरेंद्र तिवारी "वीरु"ने किया। इस अवसर पर ग्राम निकुम से पधारे कवि प्यारेलाल देशमुख ने ग्राम्य जीवन की प्रकृति परक रचना सुना कर वाहवाही पाई वहीं छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति के अध्यक्ष श्री कोशा ने - गांधी जी के झंडा ल धरे हे जौन बंदा,,/ बेचावत हे उंखरे ताबीज अउ गंडा,,/ रामराज ल देश दिए निकारा हे,,,तुंहर गांव के मौसम बडा़ पियारा हे,,सुनाकर तालियां बटोरी। इस अवसर पर मानपुर मोहला से पधारे वनांचल साहित्य समिति के डा० इकबाल खान "तनहा" जीतेद्र पटेल ने भी तुलसी दास जी व मुंशी प्रेमचंद को नमन करते हुए काव्य पाठ किया। वहीं पुरवासी साहित्य समिति के ग्वाला प्रसाद यादव "नटखट"ने हास्य-व्यंग्य पर तथा अलख राम यादव ने श्री रामचरित मानस पर अपनी बात कही। इसी तरह शिवनाथ धारा साहित्य समिति के कवि महेंद्र कुमार बघेल "मधु " साकेत के ओमप्रकाश साहू "अंकुर" रोशन साहू मोखला,आनंदराम सार्वा, पवन यादव "पहुना" राजकुमार चौधरी "रौना" मदन मंडावी,
नंदकिशोर साव " नीरव" योगेश सार्वा, डा.एस कुमार साहू, सेवंत देशमुख, कैलाश साहू "कुंवारा" , डोहरदास साहू, बलराम सिन्हा "रब", जसवंत मंडावी, चंदन कुमार साहू, ओमप्रकाश सहारे, डा नरेंद्र देशमुख,ने विभिन्न रसो से ओतप्रोत काव्य रचनाएँ पढ़ीं।
कार्यक्रम में महावीर साहू, जोधीराम साहू, संतराम निर्मलकर , रामस्वरूप साहू, बुधराम यादव,नारद यादव, विश्राम यादव, केवरा यादव,झूनाबाई साहू, सुखबती यादव रामस्वरूप साहू,पंकज यादव, पूर्वम यादव, कावेरी यादव, दिशा यादव धर्मेन्द्र यादव पंच,सदनलाल सिन्हा, आनंद साहू आदि बड़ी संख्या में ग्रामीण जन उपस्थित थे।अंत में आभार प्रदर्शन साकेत के पवन यादव "पहुना" ने किया। उक्ताशय की जानकारी कवि लखन लाल साहू लहर द्वारा दी गई।
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