छत्तीसगढ़ी सिनेमा इंडस्ट्री के मशहूर कोरियोग्राफर निशांत उपाध्याय का निधन हो गया। रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट में उनका अंतिम संस्कार किया गया। निशांत पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे। रायपुर के प्राइवेट अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। निशांत की मौत से छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री के तमाम कलाकार निर्माता-निर्देशक दुःखी हैं। उनके के फैन भी गमजदा हैं।
पिछले कुछ सप्ताह से निशांत उपाध्याय रायपुर के एक अस्पताल में एडमिट थे।
निशांत उपाध्याय ने दो हजार से ज्यादा गानों को कोरियोग्राफ किया था । छत्तीसगढ़ की दर्जनों फिल्मों में बतौर एक्टर भी काम किया। एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में उनकी शुरुआत बेहद दिलचस्प रही। कई बार निशांत को बेस्ट कोरियोग्राफर का अवॉर्ड भी मिला।
रायपुर में निशांत का अंतिम संस्कार किया गया।
कटी उंगली का राज
निशांत के दाहिने हाथ की एक उंगली कटी हुई थी । उंगली के कटने की वजह एक हादसा था। मगर वह हादसा निशांत के लिए लाइफ चेंजिंग साबित हुआ था। निशांत के पिता प्रकाश उपाध्याय बैंक कर्मचारी थे। वह चाहते थे कि निशांत डांस के चक्कर में न पड़े। उन्होंने निशांत को एक प्लास्टिक फैक्ट्री, एसटीडी पीसीओ, डेयरी शुरू करके दिया था, ताकि वह काम में व्यस्त रहें।
एक दिन निशांत अपनी फैक्ट्री में काम में मशगूल थे। उनके पिता हिसाब किताब करने वहां पहुंचे हुए थे तभी अचानक लाइट चली गई। फैक्ट्री में चल रही है एक मशीन बंद थी। मगर बाद में उनके पिता ने उस मशीन को ऑन कर दिया और उसमें निशांत की उंगली आ गई। उंगली कट जाने की वजह से परिवार के बाकी लोगों ने निशांत के पिता का विरोध किया। तब निशांत के पिता ने फैक्ट्री बंद कर दी। इसके बाद निशांत फिर से डांस को अपना करियर बनाने निकल पड़े। निशांत मानते थे कि जिंदगी का वह हादसा उनके जीवन को बदलने वाला हादसा रहा। अगर वह न होता तो शायद वह एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में न होकर परिवार का बिजनेस संभाल रहे होते।
अपने करियर में निशांत ने कई बार बेस्ट कोरियोग्राफर का अवार्ड जीता।
डांस में मिले मेडल पिता फेंक देते थे
निशांत के पिता चाहते थे कि वह बैंक के कर्मचारी बने । सरकारी नौकरी करें निशांत से उनके पिता अक्सर कहा करते थे कि डांस कोई कैरियर नहीं हो सकता। निशांत बचपन में मोहल्लों में होने वाली डांस कंपटीशन जीता करते। जब घर मेडल लेकर आते तो उसे पिता फेंक दिया करते थे । डांस करने की जुनून की वजह से कई बार डांट भी पड़ी । कुछ वक्त बाद जब डांस को ही निशांत ने अपना करियर बनाया तो पहली बार पिता को ले जाकर 120 रुपये दिए थे तब पिता को लगा था कि बेटा कुछ कर रहा है।
कोरियोग्राफर बनाने में संजय लीला भंसाली का भी हाथ
सीधे तौर पर तो नहीं मगर इनडायरेक्ट तरीके से मशहूर फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली भी निशांत को कोरियोग्राफर बनने में इंस्पायर करने की भूमिका रखते हैं। शुरुआती दौर में निशांत से छत्तीसगढ़ी फिल्मों की एडिटिंग और पोस्ट प्रोडक्शन के काम के सिलसिले में मुंबई जाया करते थे। फिल्म सिटी में एंट्री का पास भी बना हुआ था । एडिटिंग के बाद कुछ वक्त बचता था तो फिल्मों की शूटिंग देखा करते थे। तब वहां फिल्म देवदास की शूटिंग चल रही थी । डोला रे डोला गाना कोरियोग्राफ किया जा रहा था संजय लीला भंसाली की इस फिल्म के इस गाने की शूटिंग को देखकर निशांत ने कोरियोग्राफी के पूरे गणित को समझा, कि कैसे एक कोरियोग्राफर न सिर्फ डांस स्टेप समझाता है बल्कि स्क्रीन पर दिखने वाला हर मूवमेंट डिजाइन किया जाता है । इन बारीकियों को इसी तरह समझते हुए निशांत का कैरियर आगे बढ़ा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ निशांत उपाध्याय।
नेशनल अवॉर्ड विनिंग रही आखिरी फिल्म
छत्तीसगढ़ की पहली नेशनल अवार्डविनिंग फिल्म भूलन द मेज में निशांत उपाध्याय ने एक किरदार निभाया है । यह उनकी आखिरी फिल्म रही जिसमें वह स्क्रीन पर नजर आए । हालांकि कुछ एक दो फिल्में और भी हैं जिन्हें निशांत ने कोरियोग्राफी किया है जो जल्द ही रिलीज होंगी। अपने करियर की शुरुआत में निशांत ने सतीश जैन की फिल्म मया में बतौर कोरियोग्राफर काम किया था। निशांत ने मनोज वर्मा, संतोष जैन , लखी सुंदरानी जैसे तमाम छत्तीसगढ़ी फिल्म मेकर्स के साथ काम किया।
निशांत ने अपने करियर में दो हजार से ज्यादा गाने कोरियोग्राफ किए।
सुधा चंद्रन ने किया था इंस्पायर
निशांत अपने करियर के दौरान कई बार हादसों का भी शिकार हुए। कभी हाथ फ्रैक्चर हुआ तो कभी पैर। मगर इसके बाद भी वह पूरी शिद्दत से अपनी कोरियोग्राफी के काम को अंजाम देते थे । निशांत ने कुछ साल पहले मुंबई में सुधा चंद्रन से मुलाकात की थी, सुधा चंद्रन का पैर कट जाने के बाद भी वह डांसिंग के लिए जानी जाती है। उस मुलाकात में सुधा चंद्रन ने निशांत से कहा था कि सम परिस्थितियों में तो सभी काम कर लेते हैं जो विषम परिस्थितियों में काम करें वह दुनिया में हटकर होता है । यही बात निशांत को भी हमेशा इंस्पायर करती थी।
छत्तीसगढ़ी फिल्मों के एक्टर अनुज शर्मा, निशांत को अपने छोटे भाई की तरह मानते थे।
अनुज शर्मा बोले- कमी पूरी नहीं होगी
बतौर कोरियोग्राफर निशांत ने एक्टर अनुज शर्मा के साथ भी काफी फिल्मों और गानों पर काम किया था। निशांत के निधन पर अनुज ने सोशल मीडिया पर एक मैसेज साझा किया, अनुज शर्मा लिखते हैं-निशांत अब शांत हो गया ... अब शूटिंग मे मेरे टिफिन को कौन शेयर करेगा ?मेरी जिन्दगी मे तेरी कमी कोई कभी पूरी नही कर पाएगा लल्ला...तुम जैसा न कोई था, न कोई है और न कोई होगा...जिसने लाखों दिलों को अपनी अदा से जीता...जिसने छत्तीसगढ़ी सिनेमा को ऊंचाईयों तक पहुंचाया...जिसने सबसे ज्यादा बेस्ट कोरियोग्राफर का अवार्ड जीता... जिसने हजारों गानों का नृत्य-निर्देशन किया ...छोटे-बड़े हर कलाकार और निर्माता-निर्देशक के साथ काम किया...अलविदा मेरे भाई...
निशांत के पिता चाहते थे कि वह बैंक की नौकरी करें मगर निशांत को डांस बेहद पसंद था।
अधूरी रह गई निशांत की ख्वाहिश
निशांत अक्सर कहा करते थे कि साउथ की फिल्मों के गाने उन्हें काफी इंस्पायर करते हैं। डांस को लेकर साउथ की फिल्मों के गानों में होने वाली क्रिएटिविटी निशांत को आकर्षित करती थी। निशांत चाहते थे कि वह साउथ की फिल्म मैं अल्लू अर्जुन जैसे कलाकार को कोरियोग्राफ करें। छत्तीसगढ़ की लगभग हर फिल्म में निशांत ही बतौर कोरियोग्राफर काम किया करते थे। भोजपुरी की भी कई फिल्मों में निशांत ने कोरियोग्राफ किया । साउथ की फिल्मों में कोरियोग्राफी करने का निशांत का सपना अधूरा ही रह गया और छत्तीसगढ़ी सिनेमा का एक सितारा इंडस्ट्री से रुखसत हो गया।
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