2 जूलाई 2022
यूपीए की ओर से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने केंद्र की मोदी सरकार पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार अपने प्रतिद्वंदियों को दबाने के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। जो दल उम्मीदवार घोषित करते समय विपक्ष का साथ देने की बात कर रहे थे, अगर अब वे एनडीए का समर्थन कर रहे हैं तो इसके पीछे राजनीतिक और सरकारी दबाव संभव है। राष्ट्रपति पद के लिए प्रचार करने रायपुर आए यशवंत सिन्हा से दैनिक भास्कर की बातचीत के मुख्य अंश :-
Q. प्रशासनिक पद छोड़ जिन उद्देश्यों के साथ राजनीति में आए, उसे पूरा कर पाए?
A. मैं अपने उद्देश्यों में कामयाब रहा। जोर देकर कहना चाहूंगा कि भारतीय राजनीति और पब्लिक लाइफ में मेरे अनुभव का कोई दूसरा नहीं है।
Q. आईएएस से पहले आपका सेना में भी चयन हुआ था। अग्निपथ योजना पर क्या कहना है?
A. अग्निपथ योजना को सही नहीं मानता। अग्निपथ न नेशनल सर्विस और न ही आर्मी की, क्योंकि यह सिर्फ 4 साल की है। इसे लागू करने से पहले से डिफेंस कमेटी के पास भेजते, वहां से मिले सुझाव को शामिल कर इसे लागू करते तो स्वरूप कुछ और होता।
Q. आप लंबे समय तक भाजपा का हिस्सा रहे हैं। तब और अब की भाजपा में क्या अंतर है?
A. मैं जिस भाजपा में था, अब वह पार्टी नहीं रही। पहले पार्टी अपने और दूसरे दलों की सहमति की बात करती थी। अभी जो लोग केंद्र में बैठे हैं, वे सहमति नहीं टकराव की राजनीति करते हैं।
Q. केन्द्र पर सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के आरोप लग रहे हैं? ऐसा पहले भी था क्या?
A. मैं भी लंबे समय तक सरकार का हिस्सा रहा। मुझे पता नहीं हमने कभी अपने प्रतिद्वंदियों के लिए इस तरह काम किया हो। वर्तमान सरकार राजनीतिक प्रतिद्वंदियां को नीचा दिखाने, उन्हें दबाने और अपनी ओर मोड़ने के लिए दबाव बनाती है।
Q. देश में अभी जो हालात हैं, उन्हें किस नजरिए से देखते हैं? इसके लिए कौन जिम्मेदार हैं?
A. देश में अशांति का वातावरण है। अशांति के पीछे एक विचारधारा है, जो समाज को बांट कर रखती है। हम इसी विचारधारा के खिलाफ खड़े हुए हैं। छत्तीसगढ़ के सीएम और पार्टी इसे निभा रही है। इस लड़ाई को जारी रखना है।
Q. आप लंबे समय तक भाजपा का हिस्सा रहे हैं, क्या भाजपा नेताओं से भी समर्थन मांगेंगे?
A. मैं भाजपा के पुराने मित्रों और साथियों से कहना चाहता हूं कि परिस्थिति ऐसी बनी हैं, तो उनको अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। मैं अपनी ओर से कोशिश करने में कहीं कोई कमी नहीं होने दूंगा।
Q. आप अपनी जीत को लेकर कितना आश्वस्त हैं?
A. यह संख्या बल की लड़ाई नहीं, विचारधारा की लड़ाई है। हम उस विचारधारा के खिलाफ खड़े हैं जो इस देश को रसातल की ओर ले जा रही है। सिन्हा ने ये बातें भी कहीं...
- देश को खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए, सरकार से टकराव नहीं, सलाह-मशविरा तो होना चाहिए।
- राष्ट्रपति की घोषणा सहमति से होनी चाहिए थी, यह सरकार असहमति पर विश्वास करती है।
- छत्तीसगढ़ से मेरा विशेष लगाव क्योंकि मेरी शादी 60 साल पहले भिलाई में हुई थी।
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