माहेश्वरी सभा द्वारा हर साल की तरह इस वर्ष भी पारम्परिक पर्व गणगौर हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. सभा के प्रचार प्रसार प्रभारी विष्णुकांत सारडा ने बतलाया कि आयोजन को सुचारू एवम सुव्यवस्थित बनाने के लिए विभिन्न समितियों का गठन किया गया है. जिसमें : कार्यक्रम संयोजक गोपीदास बागड़ी बनाये गए है
सभा के अध्यक्ष संपत काबरा मंत्री कमल राठी ने बतलाया कि गणगौर पर्व राजस्थान का पारंपरिक गौरवशाली पर्व है. होलिका दहन के दूसरे दिवस से प्रारंभ हो कर चैत्र सूद तीज तक मनाये जाने वाला यह महापर्व एक महोत्सव रूप में संपूर्ण भारतवर्ष में राजस्थानी संस्कृति की अपनी अनूठी छटा बिखेरता है. पारिवारिक व सामाजिक दृष्टि से भी यह पर्व महत्वपूर्ण है

अखण्ड सौभाग्य की मंगलकामनाओं के साथ मनाए जाने वाले इस पर्व में माता गवरा जी (पार्वती जी) एवँ ईसर जी (आराध्य भगवान शिव जी) की पूजा अर्चना की जाती है. माता की बाड़ी यानी जवारे बोए जाने वाला स्थान पर नित्य पूजा एवम गीत गाए जाते हैं
शोभायात्रा
11 अप्रैल गुरुवार को गोपाल मंदिर सदर बाजार से शाम 7.00 बजे से प्रारंभ होगी. शोभ यात्रा हेतु माता गणगौर जी एवं ईसर जी (भगवान शिव जी) की आकर्षक झांकी का निर्माण किया जा रहा है. शोभायात्रा में समाज के सदस्य पारंपरिक वेशभूषा के प्रदर्शन के साथ ही गणगौर के पारंपरिक लोकगीतों का गायन भी करेंगे. उन्होंने बतलाया कि इसी कड़ी में गवरजा जी की प्रसाद (गोठ) : 12 अप्रैल शुक्रवार को , माहेश्वरी भवन, डूंडा में, शाम 7.00 बजे प्रारंभ होगी.

 
                                           
                    
                    






 
            
            
 
             
            
            
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                            
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