जीवन की हर घड़ी अंतिम स्मृति से करे श्रेष्ठ कर्म...
24 जून 2025 भिलाई, छत्तीसगढ़:- अंतर्राष्ट्रीय संस्था पिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की प्रथम मुख्य प्रशस्तिका मातेश्वरी जगदंबा की 60वीं स्मृति स्मृति दिवस पर सेक्टर 7 स्थित पीस ज्ञानपीठ में अमृतवेले ब्रह्ममुहर्त से ब्रह्मावत्सो ने मौन में राजयोग के रूप में मातेश्वरी जी को श्रद्धांजलि दी।
भिलाई सेवा केंद्र की निदेशिका ब्रह्माकुमारी आशा दीदी जी ने माताेश्वरी जी से जुड़ी स्मृतियां सुनाते हुए कहा कि 17 वर्ष की आयु में राधा नाम की कन्या के रूप में संस्था के संपर्क में आई और परम ज्ञानात्म को अपने जीवन में धारण करने के लिए हर घड़ी अंतिम घड़ी समझ कर श्रेष्ठ कर्मों द्वारा सभी को स्व परिवर्तन की सहज प्रेरणा दी गई।
*निर्भय शिव शक्ति का नेतृत्व*
उन्होंने उस युग में नारी नेतृत्व का आदर्श प्रस्तुत किया जब महिलाओं का सामाजिक नेतृत्व सीमित था।
वे स्वयं "शिव शक्तिस्वरूपा" उभरते हजारों समर्थकों को नेतृत्व और ज्ञान का मार्ग दिखाने वाली बनीं।
*अनुशासन एवं प्रतिबंध की प्रतिमूर्ति*
ब्रह्मचारी जीवन, नियमितता, सात्विकता और संयम में वे उत्कृष्ट थे। वे स्वयं संयम का पालन करते हैं और अनुयायियों को भी प्रेरित करते हैं।
संस्था उन्हें आज भी "आध्यात्मिक माँ" के रूप में याद करती है।
माताेश्वरी जगदम्बा सरस्वती जी ब्रह्माकुमारी संस्था की संस्था का आधार था। उन्होंने न केवल परमात्म ज्ञान, राजयोग का प्रचार किया, बल्कि उनका स्वरूप स्वयं के जीवन में भी प्रकट किया। उनका जीवन-चिंतन, ईश्वर-प्रेम, और मानव सेवा का आदर्श उदाहरण है।
माताेश्वरी जी बहुत ही शांत, सौम्य और गंभीर थीं। साक्षात् पवित्रता की देवी थी। उनके तेज के सामने कैसी भी कामी, मधुर आत्मा का परिवर्तन हो गया था। वे सदा आत्मिक स्मृति में रहते थे।
इस प्रकार निस्वार्थ भाव से विश्व कल्याण की सेवा करते हुए 24 जून 1965 को अपने भौतिक देह का त्याग कर सम्पूर्ण स्थिति प्राप्त हुई।
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