03 सितंबर 2022
राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के अनुसार, भारत में 25 से 30 प्रतिशत शहरी और 15 से 20 प्रतिशत ग्रामीण आबादी लिपिड (यह कार्बोहाइड्रेट्स और प्रोटीन्स की तरह एक पदार्थ है, जो शरीर के विकास के लिए ज़रूरी है) असामान्यताओं से पीड़ित है। इस स्थिति को डिस्लिपिडेमिया कहा जाता है और इसमें ख़ून में लिपिड का स्तर कम या अधिक हो जाता है। इसके बारे में समझने के लिए लिपिड के प्रकारों के बारे में जानना ज़रूरी है।
लिपिड के प्रकार
शरीर में तीन प्रकार के लिपिड होते हैं जिनमें एलडीएल, एचडीएल और ट्राइग्लिसराइड्स शामिल हैं। एलडीएल ख़राब कोलेस्ट्रॉल है जो स्वास्थ्य के लिए नुक़सानदेह है, क्योंकि इसके परिणामस्वरूप रक्त वाहिकाओं में प्लैक हो सकते हैं। एचडीएल को अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है क्योंकि यह ख़ून में एलडीएल के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है। ट्राइग्लिसराइड्स वो लिपिड्स होते हैं जो कैलोरी बर्न न होने पर बनते हैं और कोशिकाओं में संगृहीत हो जाते हैं। हाई ट्राइग्लिसराइड्स से भी हृदय रोग का ख़तरा बढ़ जाता है।
हृदय रोगों का ख़तरा
डिस्लिपिडेमिया टाइप-2 मधुमेह वाले 50 फीसदी रोगियों को प्रभावित करता है। डिस्लिपिडेमिया में ट्राइग्लिसराइड का स्तर बढ़ जाता है, एचडीएल कम हो जाता है और एलडीएल पार्टिकल्स बढ़ जाते हैं। हाल ही में जारी इंडिया डायबिटीज़ स्टडी, टाइप 2 डायबिटीज़ मेलिटस के नए मरीज़ों पर की गई है। इससे पता चला कि इन रोगियों में सबसे प्रचलित असामान्य कोलेस्ट्रॉल का स्तर निम्न एचडीएल (55.6%) था, इसके बाद उच्च ट्राइग्लिसराइड (51.3%), संपूर्ण उच्च कोलेस्ट्रॉल (27.5%) और उच्च एलडीएल (26.8%) थे, जिसका अर्थ है कि उन्हें हृदय रोग होने का अधिक ख़तरा है। 82.5% से अधिक रोगियों में कम से कम एक कोलेस्ट्रॉल असामान्यता दिखाई दी।
60 वर्ष से अधिक उम्र वाले ध्यान दें
डिस्लिपिडेमिया पुरुषों में सबसे आम है, लेकिन यह 30 से 40 वर्ष के आयु वर्ग के पुरुषों व महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। इसमें 60 साल से ऊपर के व्यक्ति को कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) का ख़तरा अधिक होता है। डिस्लिपिडेमिया कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) का कारण बन सकता है, जो एशियाई लोगों में बहुत अधिक है।
दिनचर्या का पालन
विशेषज्ञों द्वारा सुझाया गया सबसे अच्छा उपचार एडल्ट ट्रीटमेंट पैनल III एप्रोच को अपनाना है। इस उपचार के ज़रिए संपूर्ण कोलेस्ट्रॉल के स्तर से एलडीएल-कोलेस्ट्रॉल को कम किया जाता है। हालांकि, प्रभावी और दीर्घकालिक असर के लिए, व्यक्ति को एक पक्की दिनचर्या का सहारा लेना चाहिए, जैसे कि नियमित शारीरिक गतिविधियां और मछली के तेल के रूप में न्यूनतम पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड का सेवन। यह प्रभावी रूप से सीरम ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करेगा और शरीर में एचडीएल-कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाएगा।
उपाय आपके हाथ...
नेशनल कोलेस्ट्रॉल एजुकेशन प्रोग्राम (एनसीईपी) के चिकित्सा दिशानिर्देशों के अनुसार, 20 वर्ष से अधिक उम्र के सभी वयस्कों को सलाह दी गई कि वो हर 5 साल में बेसलाइन लिपोप्रोटीन प्रोफाइल की स्क्रीनिंग कराएं। एटीपी III कार्डियोवैस्कुलर बीमारी (सीवीडी) के जोखिम को कम करने के लिए जीवनशैली में बदलाव और दवा के ज़रिए उपचार की सलाह देता है।
ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने के लिए, ओमेगा-3 से भरपूर खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल किया जा सकता है। खाद्य विकल्प में ऑयली मछली जैसे सार्डिन, सामन आदि के साथ-साथ फिश ऑयल सप्लीमेंट्स शामिल हैं। सोया प्रोटीन से भी कोलेस्ट्रॉल स्तर, एलडीएल स्तर और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर कम होता है जबकि यह एचडीएल को बढ़ाता है जिसे अच्छा कोलेस्ट्रॉल माना जाता है।
ऐसे कई तरीक़े हैं जिनमें जीवनशैली में बदलाव से ख़राब कोलेस्ट्रॉल के प्रबंधन में मदद मिलती है। यदि लिपिड प्रोफाइल में एलडीएल का अनुपात अधिक है, तो आदतों में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं :-
- आहार में तेल, घी, चिकनाई को कम करना।
- वज़न/मोटापे को कम करना।
- उच्च एलडीएल स्तर को नियंत्रित करने के लिए शाक-सब्ज़ी और फल वाले आहार को अपनाना।
- नियमित सैर।
- तनाव कम करना।
- मधुमेह और बीपी नियंत्रण।

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