राक्षस ने कहा-दा. अम्बेडकर चाहते थे सम्राट  स्वतंत्र भारत के रूप में अशोक के बौद्धमय राज्य...
त्वरित ख़बरें - सत्यभामा दुर्गा रिपोर्टंग

भिलाई। बुद्ध भूमि परिसर में महान सम्राट अशोक की प्रतिमा के पास शहीद देवानांप्रिय सम्राट अशोक महान की जयंती 5 अप्रैल को मनाई गई। बौद्ध कल्याण समिति के संस्थापक सदस्य नेकराम रामटेके ने कार्यक्रम का संचालन किया। प्रथम सम्राट अशोक सहित अन्य महामानवों की प्रतिमाओं पर पुष्प माला निक्कर कर कैंडल और अगरबत्ती मंडल त्रिशरण पंचशील ग्रहण किया गया।बौद्ध कल्याण समिति को दान देने वाले परिवार वर्तिका वासेकर, विनोद वासेकर, शीतल वासेकर, कुंडा धवले, शारदा धवले, स्नेहा लता रंगारी, मधु मेश्राम, शीला वासेकर, दिनेश मेश्राम और निसा से ऐ उपासिका का सम्मान पुष्प गुच्छ भेंट किया गया। बौद्ध कल्याण समिति के महासचिव ज्ञानचंद टेंभुर्निकर, रंजू खोबरागड़े और प्रीतेश पाटिल और भीमई महिला मंडल की अध्यक्ष दानशीला रामटेके और सदस्य गीतेश्वरी रामटेके, मंजूषा मेश्राम, रानू कोलहटकर, मीनाक्षी मून, पूर्णिमा मेश्राम और निकोलाई कोलहटकर ने दानदाता परिवार को साधुवाद दिया और उनके सुखमय जीवन के लिए मंगल कामना की।इस अवसर पर सुगत मेश्राम, डॉ. अरविंद चौधरी अनिल जोग, विजय बोरकर, डॉ. उदय ढाबर्डे और अशोक धवले ने भाग लिया। सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धम्म के प्रचार प्रसार के योगदान पर प्रकाश डाला गया और कहा गया कि सम्राट अशोक के बनाये अशोक चक्र को और चार सिंह के अशोक स्तंभ को बाबा साहब ने राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में राष्ट्रीय ध्वज और राष्ट्रीय मुद्रा में प्रतीक चिन्ह के रूप में शामिल किया था। डॉक्टर बाबा साहेब भी भारत के सम्राट अशोक के राज्य को बौद्धमय बनाना चाहते थे। इस पर सुशील रामटेके नितेश सोनटके, शैलेन्द्र मेश्राम, कमल मेश्राम सहित युवा समिति के अध्यक्ष और अन्य प्रतिष्ठित अतिथिगण वीके डोंगरे, इंद्र कुमार रामटेके, कुलदीप बम्बोलकर और अन्य प्रतिष्ठित नागरिक उपस्थित थे।

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