राजनांदगाव जिले के शालेय शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष  सुशील शर्मा जी ने बताया कि आजकल शासन /प्रशासन अजीबो गरीब तुगलकी फरमान निकाल रही है.....
त्वरित खबरें राहुल ओझा ब्यूरो प्रमुख रिर्पोटिंग

*शासन से 3 लाख शिक्षक नाराज*

  राजनांदगाव जिले के शालेय शिक्षक संघ के जिला उपाध्यक्ष  सुशील शर्मा जी ने बताया कि आजकल शासन /प्रशासन अजीबो गरीब तुगलकी फरमान निकाल रही है.

    जिससे शिक्षक बहुत ज्यादा आक्रोषित और नाराज है.

   पहले 2008 के सेटअप को बदल कर युक्तियुक्ति किया गया जहाँ कुछ शिक्षक विहीन और एकल शिक्षकीय स्कूलों मे शिक्षक की व्यवस्था की गई है. वही हजारों स्कूलों मे शिक्षकों की कमी हो गई है.

      प्राथमिक और मिडिल स्कूलों मे मर्ज करने के कारण प्रधान पाठको के अधिकार को छीन लिया गया है

  

     कुछ दिन बाद मर्ज वाले स्कूलों से रसोईयो और स्विपर को निकाला जायेगा. ये अटल सत्य है.

   शासन मे 33000 शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था कहा गया मोदी की गारंटी, चुनाव के पहले वेतन विसंगति दूर करने का वादा किये थे, वह वादा ही रह गया.

    सोना साहू ने सुप्रीम कोर्ट से जीतकर क्रमोंन्नति ले रही है क्या शासन को नहीं चाहिए कि सोना साहू जैसे सबके लिए जनरल आर्डर जारी कर दे.

      हम छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों को विगत 5 साल से अब हर साल महंगाई भत्ता के लिए हड़ताल करना पड़ता है तब शासन हमें 3% D A देती है वह भी केन्द्र सरकार के देने के 6 माह बाद देती है.

   एक तरफ अभी व्याख्याता प्रमोशन के लिए bed को अनिवार्य कर दिया गया है.

  वही दूसरे तरफ व्याख्याता से बड़े पोस्ट प्राचार्य मे Bed अनिवार्य नहीं है कोई भी प्रशिक्षित लोग प्राचार्य बन सकते है.

     तो व्याख्याता के लिए भी वही नियम रहने दिया जाये. 

     हम शिक्षकों को नाम पात्र का पुरानी पेंशन देने का भूपेश बघेल जी ने आदेश किया था उसमे जो कमी है उसे अभी तक नहीं सुधारा गया है.

          हम शिक्षा कर्मी लोग 1995- 1998 से सेवा दे रहे है. लेकिन हमारा संविलियन 2018 मे किया गया है जिसके कारण 25,30 साल सेवा देकर रिटायर मेन्ट होने वाले लोगो 1000, 1200 पेंशन मिल रहा है.

        शनिवार को बच्चों को योगा, व्यायाम, पी टी, खेलकूद कराते थे, उसे अब पूरा दिन स्कूल लगाने का आदेश निकाला गया है जिसके कारण अब बच्चों को व्यायाम, खेलकूद, पी टी, नहीं कराया जा सकता.

   

क्योंकि इन सब एक्टिविटी के लिए सुबह का समय ही उपयुक्त रहता है

     2012 से 2017 मृत हुए शिक्षा कर्मियों की विधवा आज अनुकम्पा नहीं लगने के कारण दर दर की ठोकर खाने को मजबूर है.

      चुनाव से पहले इन्होने घोषणा पत्र मे वर्ग 3 की वेतन विसंगति को दूर करने का वादा किये थे.

 *सरकार अपनी वादा को भूल गई है*

    जिसके कारण शिक्षक संघ आक्रोषित है

 

सरकार को जल्द से जल्द शिक्षक संघो के प्रतिनिधियों को बुलाकर नाराजगी को दूर करना चाहिए।

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