लखनऊ के मौलाना जावेद हैदर जैदी ने कहा: नए साल की शुभकामनाएं देना इस्लाम के खिलाफ नहीं, मानवता को जोड़ने का संदेश दिया...
त्वरित ख़बरें -सत्यभामा दुर्गा रिपोर्टिंग

लखनऊ  : नए साल के अवसर पर जहां कुछ लोगों ने इसे धर्म से जोड़ते हुए शुभकामनाएं देने को गलत ठहराया, वहीं प्रसिद्ध इस्लामिक विद्वान मौलाना जावेद हैदर जैदी ने इसे पूरी तरह खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि *नववर्ष की शुभकामनाएं देना गलत नहीं है और इसका किसी धर्म विशेष से कोई संबंध नहीं है।  मौलाना जैदी ने अपने संदेश में कहा, "नए साल की शुभकामनाएं देना मानवता और खुशी का प्रतीक है। इसे धर्म से जोड़ना सही नहीं है। इस्लाम हमेशा प्रेम, भाईचारे और इंसानियत की शिक्षा देता है। शुभकामनाएं देना एक सामाजिक शिष्टाचार है, जो दिलों को जोड़ने का काम करता है।"मौलाना ने नए साल को आत्ममंथन और नई शुरुआत का अवसर बताया। उन्होंने कहा कि यह समय है जब हमें अपने कार्यों का मूल्यांकन करना चाहिए और भविष्य में बेहतर बनने का संकल्प लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर समाज में सकारात्मकता फैलाने और आपसी संबंधों को मजबूत करने के लिए होते हैं।  मौलाना जावेद हैदर जैदी ने समाज को एकता और प्रेम का संदेश देते हुए कहा,  "नववर्ष का स्वागत करना और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देना किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम समाज में सौहार्द और शांति को बढ़ावा दें।"उन्होंने विशेष रूप से युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें नए साल को एक नई ऊर्जा के साथ शुरू करना चाहिए और शिक्षा, सेवा और समाज कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए।  मौलाना जैदी का यह संदेश समाज के हर वर्ग में सकारात्मक चर्चा का विषय बना हुआ है। उनके विचार न केवल धार्मिक दृष्टिकोण को स्पष्ट करते हैं, बल्कि समाज में आपसी प्रेम और भाईचारे को मजबूत करने की दिशा में प्रेरणा भी देते हैं।

YOUR REACTION?

Facebook Conversations