दो दिवसीय सहकार भारती का राष्ट्रीय बुनकर अधिवेशन रायपुर में संपन्न....
बुनकर व्यवसाय को आगे बढ़ाने से महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनेंगी____ द्विवेदी
गत दिनों सहकार भारती का दो दिवसीय राष्ट्रीय बुनकर अधिवेशन रायपुर में संपन्न हुआ। अधिवेशन में देश भर से आए बुनकर प्रतिनिधियों ने अपने अनुभव साझा करते हुए हथकरघा और हस्तशिल्प में बढ़ते मशीनों के उपयोग ,बुनकरों की घटती संख्या तथा सरकारी अनुदान में कमी सहित अनेक विषयों पर विस्तार से चर्चा की। अधिवेशन में देश के 17 राज्यों के बुनकर प्रतिनिधि शामिल हुए। उक्त अधिवेशन में अपने विचार साझा करते हुए भारतीय जनता पार्टी सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक शशिकांत द्विवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ का कोसा देश भर में प्रसिद्ध है। उसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। वर्तमान समय में छत्तीसगढ़ में बुनकरों की स्थिति अच्छी नहीं है ।उन्हें सशक्त करने की जरूरत है तथा पूर्व कीभांति शासन द्वारा जो स्कूलों में गणवेश की सप्लाई करने तथा छात्रावासों में कंबल और चद्दर की आपूर्ति करने के लिएआदेश दिए जाते थे ,उसे पुनःप्रारंभ करने की जरूरत है। श्री द्विवेदी ने बताया कि बुनकर सोसाइटियों में महिलाओं की भागीदारी बहुत रहती है। निश्चित रूप से बुनकर व्यवसाय को आगे बढ़ाने से महिलाएं भी आत्मनिर्भर बनेंगी । श्री द्विवेदी ने विश्व की सबसे बड़ी सहकारी संस्था इफको द्वारा लांच की गई नैनो यूरिया , नैनो डीएपी के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि आज जब रासायनिक उर्वरकों के अंधाधुंध उपयोग से जल,वायु, मिट्टी, प्रदूषित हो रहा है, ऐसी स्थिति में नैनो उर्वरक का उपयोग करना आज की महती आवश्यकता है। नैनो उर्वरक के उपयोग से जहां किसानों को फसल की लागत में कमी आएगी , परिवहन व भंडारण में बचत होगी, वहीं पैदावार में भी बढ़ोतरी हो रही है ।साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही रासायनिक उर्वरकों की सब्सिडी में भी लाखों करोड़ों रुपए की बचत होगी। श्री द्विवेदी ने देश भर से आए प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि नैनो उर्वरकों का भी उपयोग ज्यादा से ज्यादा करें जिससे मृदा प्रदूषण तथा वायु प्रदूषण और धरती का जल , जो दिनों दिन प्रदूषित हो रहा है ,उसे बचाया जा सके। श्री द्विवेदी ने केंद्रीय गृह एवम् सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह जी द्वारा अनावरण किए गए राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि यह नीति सहकार से समृद्धि के विजन को साकार करने की दिशा में ऐतिहासिक कदम है। इस नीति के केंद्र बिंदु में देश के 140 करोड लोग, कृषि, ग्रामीण महिलाएं, दलित और आदिवासियों के उत्थान पर विशेष ध्यान दिया गया है। राष्ट्रीय सहकारिता नीति के तहत पर्यटन, सहकार टैक्सी, इंश्योरेंस और हरित एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भी सहकारी समितियों के बनाए जाने का काम शुरू हो गया है। भारत का सहकारी क्षेत्र इस साल के अंत तक भारत ब्रांड के तहत सहकार टैक्सी सेवा शुरू कर ओला और उबर जैसी दिग्गज कंपनियों को चुनौती देने को तैयार हैं। श्री द्विवेदी ने बताया कि सहकार टैक्सी का मुख्य उद्देश्य ड्राइवरों को बेहतर रिटर्न सुनिश्चित करना ,यात्रियों को सुगम गुणवत्तापूर्ण , किफायती और सुरक्षित सेवाएं उपलब्ध कराना है। इस प्रकार नई सहकारिता नीति का विजन है कि सहकारिता के माध्यम से समृद्धि लाकर 2047 तक विकसित भारत का निर्माण करना है। दो दिवसीय अधिवेशन में देशभर से आए बुनकरों से चर्चा और मंथन उपरांत उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु सर्वसम्मति से 13 प्रस्ताव पारित किए गए।जिसे भारत सरकार को भेजा जाएगा।
उक्त अधिवेशन में प्रमुख रूप से महामहिम राज्यपाल रमेन डेका जी , उप मुख्यमंत्री अरुण सावजी , सहकारिता मंत्री केदार कश्यप जी, कृषि मंत्री राम विचार नेताम जी,उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन जी सहित सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ उदय जोशी ,महामंत्री दीपक चौरसिया , प्रदेश अध्यक्ष राधेश्याम चंद्रवंशी ,महामंत्री कनीराम आदि ने भी अपने विचार साझा किए।

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