आजकल माता-पिता की सबसे बड़ी चिंता बच्चों की सुरक्षा होती है। यदि उन्हें कुछ ऐसा मिल जाए जो बच्चों के हर पल की ख़बर उन्हें देता रहे तो उन्हें तसल्ली भी रहेगी और वे बच्चों को बाहर भेजने से कतराएंगे भी नहीं।
बच्चों के खिलाफ़ बढ़ते अपराधों ने अभिभावकों की परेशानी बढ़ा दी है। बच्चों की सुरक्षा माता-पिता की सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता होती है। लेकिन जब बच्चे स्कूल, ट्यूशन या खेल-कूद के लिए अकेले बाहर जाते हैं तब उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत मुश्किल हो जाता है। बाहर की सारी गतिविधियों को मिलाकर देखें तो बच्चे कम से कम 8 से 9 घंटे तो घर से बाहर ही बिताते हैं। ऐसे समय में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बच्चों की सुरक्षा में काफ़ी महत्वपूर्ण हो सकता है। जीपीएस ट्रैकर एक ऐसी ही तकनीक है जो इस काम के लिए कारगार है।
ट्रैकिंग डिवाइस के फ़ायदों के बारे में जानते हैं...
रीयल-टाइम ट्रैकिंग
ये फ़ीचर सभी डिवाइस में आता है। लेकिन ट्रैकिंग डिवाइस लेते समय रीयल टाइम ट्रैकिंग पर ध्यान दें। वह कितने समय में लोकेशन अपडेट करती है, जैसे 15 सेकंड में 10 सेकंड में। कम से कम समय में लोकेशन अपडेट करने वाले डिवाइस का ही चयन करें। कुछ डिवाइस लोकेशन फैचिंग में काफ़ी समय ले लेती हैं। ऐसे डिवाइस लेने से बचें।
पैनिक बटन
ट्रैकिंग डिवाइस में एक पैनिक बटन दिया रहता है। बच्चा किसी मुसीबत में हो तो उसे दबाकर आप तक उसकी जानकारी पहुंचा सकता है। पैनिक बटन को तीन सेकंड के लिए दबाकर अलर्ट दिया जाता है। इसके बाद आप तक उसकी करंट लोकेशन पहुंचाई जाती है।
सेफ ज़ोन अलर्ट
मैप पर वर्चुअल सेफ बाउंड्री बनाकर सेफ ज़ोन तैयार कर सकते हैं। मिसाल के तौर पर घर, स्कूल या पार्क जैसे परिचित क्षेत्रों के लिए कितनी भी संख्या में सेफ ज़ोन बना सकते हैं। जब भी बच्चा सेफ ज़ोन में आएगा या उससे बाहर जाएगा तो आपको तत्काल एसएमएस अलर्ट प्राप्त हो जाएगा।
अब्डक्टर प्रूफ़ ट्रैकर
आजकल बनाए जा रहे जीपीएस ट्रैकर में कोई पावर-ऑफ बटन नहीं होता। इसलिए संदेहास्पद व्यक्ति इसे बंद नहीं कर सकता। ट्रैकर बैटरी रहने तक चालू रहेगा और बैटरी पूरी तरह से ख़त्म होने पर ही स्विच ऑफ होगा। इसलिए अगर बच्चा खो गया है या कोई बहला-फुसलाकर ले गया है तो आप उस तक पहुंच सकते हैं। बशर्ते डिवाइस बच्चे के पास हो।
केयर ग्रुप
यदि आप किसी ऐसी जगह पर हैं जहां नेटवर्क की समस्या है, तो आप बच्चे की लोकेशन या किसी तरह की जानकारी लेने में असमर्थ हो सकते हैं। इस फ़ीचर के ज़रिए क़रीबियों या दोस्तों को जोड़ सकते हैं, ताकि आपकी अनुपस्थिति में उन्हें बच्चे की लोकेशन आदि के बारे में जानकारी मिलती रहे।
रखने में आसान
जीपीएस ट्रैकर आजकल की-रिंग से लेकर आईडी कार्ड व घड़ी के आकार में भी आते हैं। इनकी मदद से अभिभावक बच्चों की गतिविधियों के बारे में जानकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं। इनका इस्तेमाल आसान भी होता है और इन्हें पॉकेट में या बैग में रखकर कहीं भी ले जा सकते हैं।
स्कूल फ्रेंडली डिज़ाइन
आजकल ट्रैकर इस तरह से बनाए जाते हैं जो न ही किसी तरह की आवाज़ करते हैं न ही इनमें कोई डिजिटल स्क्रीन होता है। ये फीचर इन्हें स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए आदर्श बनाते हैं।
टाइमलाइन व्यू
इस फ़ीचर के ज़रिए बच्चे की रोज़ की गतिविधि नज़र रख सकते हैं। वो किस समय कहां था, ये सब देख सकते हैं। इसके अलावा बच्चे की 90 दिन की हिस्ट्री भी देख सकते हैं जिसमें उसके बस रूट और बस की गति के बारे में भी जान सकते हैं।
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