24 जुलाई 2022
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में कई तरह की जांच नहीं होने से मरीज परेशान हैं।
पेंड्री मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में दोपहर 2 बजे के बाद सीबीसी हीमोग्लोबिन की जांच ही नहीं हो रही है। लैब में यह जांच नहीं होने की वजह से इमरजेंसी केस में इलाज करने में डॉक्टरों को परेशानी हो रही है। स्थिति यह है कि ब्लड का सैंपल लेकर मरीजों के परिजनों को निजी लैब तक दौड़ लगानी पड़ रही है। वहीं रेडियोलॉजी विभाग के सीनियर डॉक्टरों के नदारद रहने की शिकायत सामने आ रही है। इनकी जगह पर जूनियर डॉक्टर रिपोर्ट दे रहे हैं।
कई बार सोनोग्राफी की रिपोर्ट गलत होने से डॉक्टर हड़बड़ा जा रहे हैं। इधर स्त्री रोग विभाग में परिवार नियोजन का कार्यक्रम बंद चल रहा है। नसबंदी के केस में ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से नसबंदी संबंधित लक्ष्य भी जारी किया गया है। जरूरी सुविधाओं के अभाव में डॉक्टर कई मरीजों को निजी हॉस्पिटल में ऑपरेशन कराने की सलाह तक दे रहे हैं। इधर सैंपल जांच के बाद डॉक्टरों को रिपोर्ट दिखानी है पर डॉक्टर ओपीडी से नदारद हो जा रहे हैं।
इसलिए बाहर जाना पड़ रहा
हॉस्पिटल की ओपीडी में चेकअप के लिए आने वाले ज्यादातर मरीजों को डॉक्टर अलग-अलग जांच की सलाह देते हैं। ओपीडी में भीड़ रहती है। डॉक्टर की पर्ची लेकर मरीज लैब तक सैंपल देने पहंुचते तो पता चलता है कि 2 बजे के बाद जांच नहीं की जा रही।
विशेषकर हीमोग्लोबिन की जांच नहीं कर रहे हैं। भर्ती मरीजों के लिए भी यह बड़ी समस्या बन गई है। डिलीवरी के लिए भर्ती हुई महिलाओं की ब्लड जांच के बाद ही सिजेरियन ऑपरेशन हो पाता है। सिजेरियन डिलीवरी केस ज्यादातर इमरजेंसी में ही आते हैं। इनकी जांच बहुत जरूरी रहती है पर यहां सैंपल लेने से मना कर देने पर निजी लैब भेज रहे हैं।
अतिरिक्त कर्मचारी ही नहीं
स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत परिवार नियोजन कार्यक्रम को महत्वपूर्ण माना गया है पर मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के स्त्री रोग विभाग में स्टाफ की कमी के चलते नसबंदी के केस नहीं निपटाए जा रहे हैं। केवल सिजेरियन डिलीवरी के दौरान ही नसबंदी हो पा रही है।
विभाग में स्टाफ के साथ ही संसाधनों की कमी के चलते फैमिली प्लानिंग नहीं की जा रही है। केस रोज आ रहे हैं पर संसाधनों की कमी बताकर टालमटोल किया जा रहा है। खबर है कि इस कार्यक्रम के लिए अतिरिक्त कर्मचारी नहीं दे रहे हैं। अधीक्षक डॉ. प्रदीप बेक ने बताया कि कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। लैब में दोपहर बाद इमरजेंसी जांच हो रही है।
जांच के बाद रिपोर्ट दे रहे जूनियर डॉक्टर
हॉस्पिटल के रेडियोलॉजी विभाग में पर्याप्त स्टाफ कार्यरत हैं पर शिकायत सामने आ रही है कि सीनियर डॉक्टर 11.30 बजे के बाद जूनियरों के भरोसे विभाग छोड़कर नदारद हो जाते हैं। यहां जूनियर डॉक्टर ही जांच करने बाद रिपोर्ट दे रहे हैं। विभागों से यह शिकायत आ रही है कि सोनोग्राफी की रिपोर्ट गड़बड़ आ रही है।
ओपीडी में जांच रिपोर्ट देखने वाला कोई नहीं
इधर जिला अस्पताल की ओपीडी से डॉक्टर समय से पहले उठ जा रहे हैं। जो मरीज चेकअप कराने के बाद सोनोग्राफी, एक्स-रे और अन्य लैब की रिपोर्ट दिखाना चाहते हैं, उन्हें भटकना पड़ रहा है। उन मरीजों को ज्यादा परेशान होना पड़ रहा है जो कि दूरदराज से आ रहे हंै। जबकि यहां सर्दी, खांसी के लक्षण वाले मरीजों की कोविड जांच हो रही है।
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