26 मई 2022

छत्तीसगढ़ में पिछले दो साल यानी 2020 और 2021 के दौरान आकाशीय बिजली के 15.33 लाख मामले रिकाॅर्ड हुए हैं। हैरान करने वाली बात ये है कि पिछले वर्षों में बिजली गिरने की जितनी घटनाएं होती रही हैं, प्रदेश में वह 91 प्रतिशत बढ़ गईं यानी लगभग दोगुनी हो गई हैं। प्रदेश में मौसम विभाग हर 250 किमी के दायरे में आकाशीय बिजली गिरने की घटनाओं को एक सिस्टम से माॅनीटर करता है।
इस सिस्टम के अनुसार मानसून से कुछ पहले और इसके लौटने के कुछ दिन बाद के पीरियड में ही छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा बिजली गिरती है। यही नहीं, पिछले 10 साल में प्रदेश में बिजली गिरने से 2 हजार से ज्यादा मौतें रिकाॅर्ड में हैं। इनमें से ज्यादातर की मौत मानसूनी सीजन में मौसम बिगड़ने पर पेड़ों के नीचे या आसपास खड़े होने के कारण हुई है।
बिजली गिरने के मामले में पड़ोसी राज्य ओडिशा इस मामले में देश में टॉप पर है। ओडिशा में इसी अवधि यानी पिछले दो साल में 20.43 लाख बार बिजली गिरी है। मध्यप्रदेश दूसरे नंबर पर रहा, जहां 17.10 लाख बार बिजली गिरने के मामले रिकाॅर्ड हुए।
छत्तीसगढ़ में बीते 10 साल में बिजली गिरने से जिन 2 हजार लोगों की मौत हुई है, उनमें ग्रामीण इलाके के लोग ज्यादा हैं। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक छत्तीसगढ़ देश के उन चुनिंदा राज्यों में हैं, जहां दो साल में बिजली गिरने के मामले लगभग डबल हो गए हैं।
यही वजह है कि मौसम विभाग ने इस साल मानसून से पहले लोगों को बिजली गिरने पर बचाव के तरीके और सावधानियों के प्रति जागरुक करने का फैसला किया है। यही नहीं, बिजली गिरने के पूर्वानुमान के सिस्टम को भी और अधिक मजबूत करने की कोशिश शुरू हुई है, ताकि मौतें और नुकसान कम से कम किया जा सके।
चार में 3 मामले पेड़ों के नीचे
आपदा प्रबंधन विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ में बिजली गिरने से सबसे ज्यादा हादसे ग्रामीण इलाकों में हुए हैं। पिछले दस साल में 96 प्रतिशत मामले ग्रामीण इलाकों में दर्ज किए गए थे। शहरी क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं केवल 4 फीसदी हैं। आपदा विभाग से मिले आकड़ों के विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि बिजली गिरने से जितनी मौतें हुईं, उनमें 71 प्रतिशत लोग पेड़ के नीचे या आसपास थे।
आंकड़े यह भी बताते हैं कि जिनकी मौतें बिजली गिरने से हुईं, उनमें 66 प्रतिशत थे। बिजली से जान गंवाने वालों में 65 प्रतिशत पुरुष और 35 प्रतिशत महिलाएं थीं। यही नहीं, कुल मौतों में 34 प्रतिशत बच्चे भी हैं।
हादसे का शिकार किसान ज्यादा होते हैं, क्योंकि अप्रैल से जुलाई हाई रिस्क अवधि है और इसी समय खेतीबाड़ी का काम चलता है। किसान खेतों में होते हैं और बारिश होने पर पेड़ों के नीचे जाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होता। किसानों को दामिनी एप से जोड़ना जरूरी है।
जीके दास, कृषि मौसम वैज्ञानिक-इंदिरा गांधी कृषि विवि
उत्तरी छत्तीसगढ़ हाई रिस्क जोन में, ज्यादा घटनाएं जून में
जहां तक देश में बिजली गिरने की घटनाओं की स्टडी का सवाल है, ऐसे मामले अप्रैल से जुलाई के बीच ही ज्यादा हैं। सालभर में बिजली गिरने से जितनी मौतें हुई हैं, उनमें 35 से 40 प्रतिशत तक केवल जून, जुलाई में हुईं। छत्तीसगढ़ में बीते दस साल में गाज गिरने से हुई मौतों का आपदा प्रबंधन विभाग ने भी विश्लेषण किया है। जनहानि के आधार पर सरगुजा, कोरबा, सूरजपुर, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर, रायगढ़ और जांजगीर चांपा हाईरिस्क जोन माने जाते हैं।
लाइटनिंग डिटेक्टर से रिकाॅर्ड होती है बिजली
प्रदेश मौसम विभाग के वैज्ञानिक एचपी चंद्रा के अनुसार, देशभर में आकाशीय बिजली की घटनाओं को दर्ज करने के लिए लाइटनिंग डिटेक्टर लगे हैं। ये 200 से 250 किमी के दायरे में आकाशीय बिजली की घटना होने पर दर्ज कर लेते हैं। लाइटनिंग डिटेक्टर से मिली जानकारी को रोजाना, साप्ताहिक और मासिक आधार पर दर्ज कर, बिजली की घटनाओं की गिनती की जाती है।
इस एडवांस सिस्टम में बिजली कितनी बार बादल में गिरी या जमीन पर, ये भी दर्ज होता है। छत्तीसगढ़ और पड़ोसी राज्यों के इसी डिटेक्टर सिस्टम के जरिए रिकॉर्ड रखा जाता है। सैटेलाइट के जरिए भी बिजली गिरने का रिकार्ड रखा जाता था, लेकिन लाइटनिंग डिटेक्टर सिस्टम एक एडवांस तरीका है। प्रदेश में फिलहाल रायपुर में लाइटनिंग डिटेक्टर सिस्टम है। इसे बिलासपुर, सरगुजा, कांकेर और बस्तर में भी लगाने की तैयारी है।
एक्सपर्ट
डॉ. मृत्युंजय महापात्रा, महानिदेशक राष्ट्रीय मौसम विभाग, नई दिल्ली
दामिनी एप में पूर्वानुमान की अवधि बढ़ेगी
भारत का मौसम विभाग ऐसा इकलौता संस्थान है जो आकाशीय बिजली गिरने को लेकर अलर्ट जारी करता है। फिलहाल मौसम विभाग के दामिनी एप के जरिए 40 मिनट पहले अलर्ट जारी किया जा रहा है। जिससे 20 से 40 किमी के दायरे में जानकारी मिलती है। अब इस सिस्टम को और ज्यादा मजबूत बनाने की तैयारी हो रही है।
दामिनी एप से एक या दो घंटे पहले तक अलर्ट जारी किया जाए, इसकी कोशिश है। बिजली गिरने वाले बादल काफी पहले से नजर आने लगते हैं, इसलिए छोटी-छोटी सावधानियां रखकर काफी हद तक हम इससे होने वाली जनहानि को रोक सकते हैं। दामिनी एप से दी जा रही जानकारी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे तो हादसे कम हो सकते हैं।
तीन तरह की होती है आकाशीय बिजली
- बादलों के बीच रह जाती है।
- बादल से बादल पर गिरती है।
- जमीन पर आती है, जिससे हानि।

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