सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ नंदूलाल चोटिया जी की स्मृति में सृजन संवाद भवन दिग्विजय महाविद्यालय में विचार गोष्ठी एवं रचना पाठ का आयोजन
त्वरित ख़बरें - दीपमाला शेट्टी रिपोर्टिंग

राजनांदगांव के सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ नंदूलाल चोटिया जी की स्मृति में सृजन संवाद भवन दिग्विजय महाविद्यालय में विचार गोष्ठी एवं रचना पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि लोकबाब़ू  , विशिष्ट अतिथि डॉ कोमल सार्वा, अब्दुस सलाम कौसर , परमेश्वर वैष्णव महासचिव प्रगतिशील लेखक संघ छत्तीसगढ़ रहे।कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रभात तिवारी ने की।      

       चोटिया जी को याद करते हुए डॉ कोमल सार्वा जी ने कहा कि चोटिया जी राजनांदगांव अंचल के साथ ही राष्ट्रीय स्तर के साहित्यकार थे, वह एक जन कवि थे एवं साथ ही स्पष्टवादी वक्ता एवं मंच संचालक भी थे। उनके आसपास कवियों का एक जमघट सा लगा रहता था। साहित्यकार के रूप में व कहते थे कि मैं मेहनतकश लोगों पर श्रम एवं रोटी पर कविता लिखने के लिए प्रतिबद्ध हूं। चोटिया जी अपनी कविताओं में विद्रोही स्वर का गान करते हैं, धान का कटोरा नामक कविता में उनका मार्क्सवादी चिंतन देखने को मिलता है। प्रगतिशील मान्यता के लिए अपना जीवन उन्होंने अर्पण कर दिया। उनकी  रचनाएं हमेशा  अमर रहेंगीं। प्रोफेसर थान सिंह वर्मा ने कहा जिस समय चोटिया जी ने होश संभाला उस समय 1936 में प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हो चुकी थी। चोटिया जी सहज रूप से मानवीय संवेदनाओं को जनमानस तक पहुंचा देते थे, उनके काव्य संग्रह फसल ,रोटी ,भूख कविता में उनके विद्रोही स्वर दिखाई देते हैं। फसल कविता के माध्यम से जनमानस के वर्ग संघर्ष की पीड़ा को उजागर किए हैं। प्रभात तिवारी  ने चोटिया जी के साथ किए हुए गोष्ठियों कवि सम्मेलनों को याद करते हुए अपनी बात रखी। बस्तर बस्तर उपन्यास के लेखक लोकबाबू ने कहा चोटिया जी अपनी बात सामने ही रखना पसंद करते थे। वे मजाक में गंभीर बातों को सामने रख देते थे। वे जनकवि के साथ होम्योपैथी डॉक्टर भी थे। उनकी रचनाओं को युवा साहित्यकारों को जरूर पढ़ना चाहिए। प्रसिद्ध शायर एवं गजलकार अब्दुल सलाम कौसर  ने चोटिया जी को याद करते हुए अपनी ग़ज़लें प्रस्तुत की। प्रसिद्ध शायर मुमताज जी ने अपनी नज़्मे पढ़कर चोटिया जी को याद किया। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव परमेश्वर वैष्णव जी ने द्वितीय सत्र के काव्य पाठ की अध्यक्षता की। अध्यक्षीय उद्बोधन में चोटिया जी को याद करते हुए अंचल के सम्मिलित साहित्यकारों युवा रचनाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार चोटिया जी ने अपने साहित्य में जनमानस की पीड़ाओं को प्राथमिकता दी वैसे ही एक साहित्यकार के रूप में हम सभी को अपनी लेखनी से वर्ग संघर्ष की पीड़ा को उजागर करना चाहिए। कविता का केवल यह मतलब नहीं की स्वांतःसुखाय हेतु लिखा जाए ,कविता तो जनमानस की दुख ,पीड़ा ,भूख उनके परिश्रम की सार्थकता पर लिखा जाए।

     कार्यक्रम में देवेंद्र कुमार इंदौर , गिरीश ठक्कर  ,कुबेर साहू, यशपाल जँघेल ,डॉ गजेंद्र बघेल, ओमप्रकाश अंकुर, मुकेश रामटेके ,रोशन साहू पोषण वर्मा ,संकल्प यदु, लखनलाल साहू लहर ,आनंद राम साहू ,सुषमा शुक्ला ,बलराम सिन्हा,कुलेश्वर दास साहू ,दोहर दास साहू ने काव्यपाठ किया।इस अवसर पर  आत्माराम कोसा, थनवार महिलांगे एवं अंचल के साहित्यप्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ प्रवीण साहू ने एवं आभार प्रदर्शन हरेंद्र कंवर ने किया। इकाई के सचिव पोषण वर्मा ने सृजन संवाद भवन के लिए जिला प्रशासन एवं दिग्विजय महाविद्यालय का आभार व्यक्त किया  है।

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