कवि सम्मेलन का टाईगर यादों में जिंदा रहेंगे,
राजनांदगांव :- अपनी हास्य रचनाओं एवं विशिष्ट शैली से काव्य रसिकों का मनोरंजन करने वाले सुरेन्द्र दुबे जी के निधन को साकेत साहित्य परिषद सुरगी ने साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताया है। साकेत से जुड़े साहित्यकारों ने दुबे जी को संस्मरणात्मक श्रद्धांजलि दी है। साकेत साहित्य परिषद सुरगी के अध्यक्ष ओमप्रकाश साहू अंकुर , वरिष्ठ साहित्यकार कुबेर सिंह साहू , सचिव राजकुमार चौधरी रौना ने कहा है कि सुरेन्द्र दुबे जी ने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत और छत्तीसगढ़ की माटी का नाम रोशन किया।एक ओर जहां अपनी हास्य कविता से काव्य रसिकों को लोट पोट कर देते थे तो दूसरी तरफ बस्तर की दुर्दशा पर लिखी उनकी कविता ने साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी। साकेत साहित्य परिषद सुरगी के पूर्व अध्यक्ष लखन लाल साहू लहर, वरिष्ठ कवि वीरेन्द्र कुमार तिवारी वीरू,उपाध्यक्ष पवन यादव पहुना का कहना है कि दुबे जी ने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव के रूप में अपनी प्रशासनिक क्षमता का बखूबी परिचय दिया। साकेत के पूर्व अध्यक्ष सचिन निषाद , भूखन वर्मा छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा आयोजित प्रांतीय सम्मेलन बिलासपुर, राजिम ,कोरबा , उनके गृह शहर बेमेतरा के साथ ही साकेत साहित्य परिषद सुरगी द्वारा मोखला में आयोजित वार्षिक सम्मान समारोह सहित अन्य राज्य स्तरीय साहित्यिक आयोजन उनसे मिलने का अवसर प्राप्त हुआ ओमप्रकाश साहू अंकुर ने संस्मरण सुनाते हुए कहते हैं कि दुबे का साहित्य के क्षेत्र में एक बड़ा नाम था। उनसे बात करने में हिचक भी होती थी। पर मेरे इस हिचक को स्वयं सुरेन्द्र दुबे जी ने ही दूर किया मोखला गांव में। दरसल मोखला में 21 जुलाई 2018 को आयोजित साकेत साहित्य परिषद सुरगी, राजनांदगांव के वार्षिक सम्मान समारोह में दुबे जी मुख्य अतिथि थे और उस समय वे छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव थे। मुख्य अतिथि ही सबसे पहले मोखला पहुंच गए। उस दिन सुबह बारिश भी हुई थी। साकेत के हमारे पदाधिकारी और साथीगण में दो तीन लोग ही उपस्थित थे। अन्य अतिथि भी नहीं पहुंच पाये थे। इस बीच भाई लखन लाल साहू लहर और मैं दुबे जी के साथ बातचीत का सिलसिला प्रारंभ किए। उसके बाद लहर जी भी वार्षिक समारोह के तहत माईक टेंट और अन्य जरूरी व्यवस्था में लग गए। छत्तीसगढ़ी में गोठबात प्रारंभ हुआ। वरिष्ठ साहित्यकार महेन्द्र कुमार बघेल मधु, नंद किशोर साव नीरव,शंतू राम गंजीर, अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा प्यारेलाल देशमुख ने याद करते हुए कहा कि दुबे जी बोलने में बहुत सिद्धहस्त थे। बातचीत के दौरान वे हास्य का पुट सहज रूप में ही ला लेते थे। मोखला में भी यही हुआ। इस बीच हमारे और भी साथी लोग पहुंचते गए और दुबे जी की बात चीत की शैली का लुत्फ उठाने लगे। साकेत के पूर्व सचिव कुलेश्वर दास साहू, फकीर प्रसाद साहू, नंद किशोर साव नीरव हम लोग असहज महसूस न करे इसलिए दुबे जी आत्मीयता से बातचीत करने लगे। साहित्यिक चर्चा हुई।इस बीच दुबे जी ने बताया कि वे कुछ समय हमारे गांव सुरगी के अस्पताल में भी ड्यूटी किए थे। साथ ही कहा कि इस आयोजन को सुरगी में रखना था जी क्योंकि वो बड़ा गांव है। इस पर मैंने कहा कि साकेत साहित्य परिषद सुरगी का वार्षिक सम्मान समारोह सुरगी के साथ ही अन्य गांवों में भी सफलता पूर्वक होते रहा है। मैंने दुबे जी को आश्वस्त किया कि यह आयोजन भी सफल होगा।इस समारोह में परिचर्चा का विषय था - "छत्तीसगढ़ी पारंपरिक लोकगीतों में लोक परंपरा के तत्व "।इस पर आधार वक्तव्य साकेत साहित्य परिषद सुरगी के संरक्षक कुबेर सिंह साहू ने दिया। मुख्य अतिथि के रूप में श्रद्धेय दुबे जी के वक्तव्य ने लोगों का काफी प्रभावित किया। अपनी हास्य शैली से लोगों को हंसाकर लोटपोट कर दिया। विषय पर बोलने के बाद जब काव्य रसिकों ने उनसे कविता सुनने की इच्छा जाहिर की और उनके पास जाकर कविता प्रस्तुत प्रस्तुत करने का निवेदन किया तो छत्तीसगढ़िया शैली में बोले - " बिना पइसा के मोर जबान नइ खुले।"फिर उन्होंने अपनी हास्य कविता सुना कर समारोह में उपस्थित साहित्यकारों और काव्य रसिकों को आनंदित कर दिया। इस वार्षिक सम्मान समारोह में युवा कवि पवन यादव पहुना और नाचा कलाकार फिरंगी राम साहू को मुख्य अतिथि दुबे जी और अन्य अतिथियों ने साकेत सम्मान से सम्मानित किया। साकेत के प्रथम अध्यक्ष धर्मेन्द्र पारख मीत, दिलीप कुमार साहू , मानसिंह मौलिक ने दुबे जी को याद करते हुए कहा कि राजनांदगांव में आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में अपने साहित्यिक मित्रों के साथ कई बार जाकर दुबे जी सहित देश के अन्य बड़े कवियों को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है। वे हास्य सम्राट के साथ ही राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के कुशल संचालक भी थे। फागू दास कोसले, कैलाश साहू कुंवारा,मदन मंडावी, अमृत दास साहू, भूपेंद्र साहू सृजन, भूपेंद्र साहू प्रभात, शिव प्रसाद लहरे, डोहर दास साहू,आनंद राम सार्वा, बलराम सिन्हा, हिपेन्द्र साहू , याद दास साहू,रूपल साहू, राम खिलावन साहू,युनुस अजनबी,गुमान सिंह साहू,का निधन साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया। पूर्व अध्यक्ष लखन लाल साहू ने सुरेन्द्र दुबे जी द्वारा मोखला में तालाब किनारे पौधारोपण क्षण को साझा किया।
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