राजनांदगांव / कृषि विकास अधिकारी ,कवयित्री श्रीमती सुषमा शुक्ला अंशुमन के यहां पर्यावरण जागरूकता से संबंधित साहित्यिक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता छ०ग० राजभाषा आयोग के जिला समन्वयक आत्माराम कोशा "अमात्य" ने की।शिवनाथ धारा साहित्य समिति के बैनर तले आयोजित साहित्यिक गोष्ठी में उपस्थित कवि/ साहित्यकारों ने पर्यावरण बचाने की संदेश देने वाली एक से बढ़कर एक काव्य रचनाएं पढ़ी। इस दौरान कवयित्री श्रीमती सुषमा शुक्ला के पति मुकेश शुक्ल के जन्म दिन पर केक काटकर उन्हें जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएं दी गई। साहित्यिक आयोजन में पर्यावरण पर जमगरहा संदेश देते हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ साहित्यकार आत्माराम कोशा अमात्य ने कहा - हमर करम हो गे हे जाली,, त, कहां ले रही हरियाली,?, रिसा गेहे प्रकृति,,रिसा गेहे संस्कृति,, रिसा गेहे, माता महा काली,,, त,, कहां ले रही हरियाली ।। इस दौरान जल को बचाना, अपने कल को बचाना कहते हुए कवि वीरेंद्र तिवारी वीरु ने पौध रोपण कर फोटो खिंचवाने वाले व उनकी देख-रेख नहीं करने वाले लोगों को आड़े हाथों लिया। कवि महेद्र बघेल "मधु" बेटी पर मार्मिक रचना पढ़ी वहीं व्यंग्यकार कवि गिरीश ठक्कर "स्वर्गीय" ने शहर की समस्यायों को अपनी व्यंग रचनाओं में उकेरा।
बिरबिट करिया रात में अंजोर हो गे हे
कवि ओमप्रकाश साहू "अंकुर" व लखन लाल साहू "लहर" ने कवयित्री सुषमा शुक्ला के पति को उनके जन्म दिन की बधाई इस तरह दिया - हे, मुकेश,, तै अइसे का मंत्र फुकेस,,कि सुषमा तोर होगे / बिरबिट करिया रात में, जग-जग ले अंजोर होगे,,। कवि मानसिंह "मौलिक"ने होली के रंग में भीगी, गोरी को रंगने वाली रचना पढ़ी वहीं कवि एवं फिल्म निर्माता अखिलेश्वर प्रसाद मिश्रा ने धरती में अधिकाधिक संख्या में पेंड़ लगाने तथा शंकर शरण खोब्रागड़े ने पर्यावरण पर आध्यात्मिक रचना तथा कवि गोवर्धन गंभीर ने पर्यावरण बचाने नन्ही चिड़िया पर प्रासंगिक रचना पढ़कर माहौल को गंभीर बनाया। इसी तरह कुलेश्वर साहू, अनिल कसेर, कन्हैया लाल मेश्राम ने भी अपनी कविता में पर्यावरण बचाने का संदेश दिया।
नारी और प्रकृति की व्यथा
मेजबान कवयित्री सुषमा शुक्ला "अंशुमन" ने नारी और प्रकृति की व्यथा को एक समान मानते हुए अपनी कविता में- नारी के लिए ,आज हो न कल हो / नारी के लिए हर जनम हर पल हो,, कहा। इस दौरान डोंगरगांव क्षेत्र से पधारी कवयित्री माधवी गणवीर ,रोहिणी पटेल के अलावा ,लोमन दास मानिकपुरी ,प्रीतम कोठारी समीर, जीवन दास सहित अन्य बहुत से कवि व साहित्यकारो ने पर्यावरण के रंग में भीगी रचनाएं पढ़कर प्रशंसा प्राप्त की। अंत में कवयित्री सुषमा शुक्ला "अंशुमन" ने समस्त कवि / साहित्यकारो का आभार प्रदर्शन करते हुए औषधीय व अन्य पौधे भेंट किये। उक्ताशय की जानकारी मानसिंह मौलिक द्वारा दी गई।
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