रीको गांव के किसानों के प्रति नया रायपुर विकास प्राधिकरण ( एनआरडीए ) के तानाशाही कार्य व्यवहार को सामने ला रही है... निशा देशमुख
त्वरित ख़बरें - एनआरडीए की प्रशासनिक कार्यवाहियों मे पारदर्शिता का आभाव क्यों है इसका अब जवाब एनआरडीए को देना पड़ेगा |

रीको गांव के किसानों के प्रति नया रायपुर विकास प्राधिकरण ( एनआरडीए ) के तानाशाही कार्य व्यवहार को सामने ला रही है... निशा देशमुख

नया रायपुर के किसानों की समस्याओं को लेकर स्थानीय किसान परिवार की निशा देशमुख ने कई ज्वलंत प्रश्न एनआरडीए प्रशासन से पूछे है 

रिको गांव की मूल निवासी ने बताया कि एनआरडीए ने मंदिर हसौद तहसील कार्यालय आरंग में 8/अ 82 वर्ष 2012-13 में परिवाद लगाया था जो कि अजय पिता ईश्वर सिंह व अन्य 21 किसानों के विरुद्ध था इस परिवार में 21 किसान परिवार आहत हुए थे और 2012 से आज तक न्यायालयइन लड़ाई लड़ रहे हैं जबकि यह जमीन किसानों की है और इस जमीन पर एनआरडीए को सार्वजनिक उपयोग का किसी भी प्रकार का कोई विकास कार्य नहीं करना था बावजूद इसके एनआरडीए ने हम किसान परिवारों की जमीन को अधिग्रहीत करने का षडयंत्र किया है उन्होंने बताया कि इस मामले में वर्तमान स्थिति में उच्च न्यायालय में भी किसानों ने अपनी बात रखी है लेकिन अब तक एनआरडीए से जवाबदेही तय करने के लिए हमने कोई कार्यवाही नहीं की थी इसलिए अब इसकी पहल मैं कर रही हूं और मैंने सूचना के अधिकार के तहत एनआरडीए से कई प्रश्न पूछे हैं जैसे जैसे अधिग्रहित की गई भूमि के भू अभिलेख तैयार करने उन्हें कायम रखने और उनके संशोधनों को विनियमित करने के नियम मैंने एनआरडीए से पूछे हैं जिससे यह पता चल सके कि एनआरडीए आखिर किन नियमों का अनुपालन करते हुए कार्यवाही कर रहा है कि नहीं कर रहा है क्योंकि ग्राम रीको के भू-अर्जन प्रकरण में 2 आपत्तियां प्रस्तुत की गई थी आपत्तियों का जवाब दावा एनआरडीए ने न्यायालय में प्रस्तुत किया था इसलिए मैंने इस जवाब दावे की प्रक्रिया और कार्यवाही एनआरडीए से पूछी है जब यह मामला न्यायालय में चल रहा था तब आपत्ति करता कुलदीप सुकतेल एवं अन्य 39 काश्तकारों के द्वारा भी आपत्ति प्रस्तुत की गई थी जिसका जवाब एनआरडीए ने न्यायालय में प्रस्तुत किया था किसानों ने जो आपत्ति दर्ज करवाई वह 16 बिंदुओं में थी आपत्ति का मूल विषय भू अर्जन अधिनियम के तहत की गई कार्यवाही को निरस्त करना था जब यह आपत्ति दर्ज कराई गई तब एनआरडीए ने जो जवाब तैयार किया वह विधि सम्मत नहीं दिखता है इसलिए मैंने एनआरडीए से 16 बिंदुओं की आपत्ति पर जवाब दावा तैयार किए जाने संबंधी कार्यवाहीयों की नोटशीट मांगी है जिससे कि स्पष्ट हो जाएगा कि जवाब दावा कार्यवाही किस तरह किसानों के विरोध में बनाई गई

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 अधिग्रहण के लिए शासन द्वारा करवाई गई सूचना प्रकाशन कार्यवाही ने एनआरडीए प्रशासन के लिए कई प्रश्न खड़े किए है:-

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अधिग्रहण सूचना की प्रकाशन कार्यवाही की जानकारी देते हुए संघर्षकर्ता निश देशमुख ने बताया कि तत्कालीन विपरित परिस्थितियों में भी श्रीमती मनोरमा कसार ने प्रकाशन संबंधी आपत्ति समय रहते विधिवत प्रस्तुत की थी लेकिन उस समय एनआरडीए ने जो जवाब दिया था वह संतोषप्रद नहीं था व्यथित करने वाली बात यह है कि स्थानीय किसानों ने समय रहते शासन प्रशासन से लिखित में भू अर्जन का प्रकाशन किए जाने के पूर्व अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी ग्राम रीको के खाताधारकों द्वारा समय रहते आपत्ति दर्ज कराने के बाद भी सुनवाई नहीं की गई और प्रकाशन किया गया जो बेहद अनैतिक और किसानों के अधिकारों पर अतिक्रमण करने वाला था डेमन लाल सुकतेल पिता भरत लाल सुकतेल ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी जिसके संबंध में नया रायपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी ने जवाब दावा प्रस्तुत कर यह कह दिया था कि उनकी सभी आपत्ति निराधार है और सब आपत्तियों को खारिज कर दिया था ऐसा करके एनआरडीए ने एक ही विषय को अलग-अलग मामलों में उलझा दिया था जिसके स्पष्टता को सार्वजनिक करने के लिए मैं एनआरडीए से सारे दस्तावेजीक एक प्रमाण मांग रही हूं जिससे कि न्यायालय जाकर इस मामले के तथ्यों को विधिवत उजागर किया जा सके

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एनआरडीए ने कृषि प्रयोजन की भूमि को रिहायशी प्रयोजन के उपयोग हेतु नियम शर्तो का निर्धारण किस विधिक आधार पर किया था ?

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एनआरडीए ने सेक्टर 30 में कृषि प्रयोजन की भूमिंको रिहायशी प्लॉट बनाकर नियमों व शर्तों का निर्धारण किया था इस निर्धारण कार्यवाही के आधारभूत तथ्यों को जानने के लिए भी मैंने आवेदन किया है और दस्तावेज मांगे हैं राजस्व निरीक्षक एनआरडीए के द्वारा नया रायपुर के विकास कार्य योजना क्षेत्र हेतु भू अर्जन की खाते वार सूची भी न्यायालय में प्रस्तुत की थी मैंने उस सूची से संबंधित कार्यवाहीयों को किए जाने की नोटशीट एनआरडीए से मांगी है जिससे स्पष्ट हो सकेगा की क्या यह कार्यवाही नियमानुसार की गई थी नया रायपुर के विकास एवं निर्माण हेतु भू अर्जन प्रकरण कि प्रकाशन कार्यवाही के पश्चात आपसी सहमति के आधार पर क्रय की गई भूमि की सूची तैयार की गई थी यह सूची अनिवार्य भू अर्जन कार्यवाही के अंतर्गत की गई थी जिसमें कुल 274 खसरा का अधिग्रहण किया गया था अब हम सभी किसान परिवार इस प्रकरण को लेकर व्यथित और प्रताड़ित है लेकिन अब मैं इस विषय पर  सप्रमाण कार्यवाही करने के लिए मन बना चुकी हूं तथा दस्तावेजों के आधार पर सभी किसानों की व्यथा सक्षम न्यायालय के सामने प्रस्तुत करूंगी अब एनआरडीए के दस्तावेज मिलने का इंतजार है देखते है एनआरडीए अपनी कपट पूर्ण कार्य नीति पर विराम लगाकर मेरे द्वारा मांगी गई जानकारी देता है कि नहीं |

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