समुद्र ही भविष्य के प्रमुख संसाधन भंडार - द्विवेदी
त्वरित ख़बरें - दीपमाला शेट्टी रिपोर्टिंग

राजनांदगांव. राष्ट्रीय समुद्र दिवस के महत्तम परिप्रेक्ष्य में शास. कमलादेवी राठी महिला स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव में संस्था प्राचार्य डॉ. आलोक मिश्रा के प्रमुख निर्देशन में भूगोल विभाग द्वारा विशेष जागरूकता व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित हुआ। पर्याविज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार द्विवेदी विभागाध्यक्ष भूगोल द्वारा दिवस विशेष व्याख्यान में बताया कि समग्र पृथ्वी के तीन चौथाई भाग पर समुद्री जल का ही विस्तार है। यही समुद्री जल विस्तार हमारी जलवायु दशाओं को प्रमुखता से नियंत्रित करते हुए मानव जीवन के संरक्षण-संवर्धन और संपूर्ण वानस्पतिक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वर्तमान में चतुर्दिक बढ़ते हुए जल संकट के कारण भविष्य में जलापूर्ति के लिए मानव को समुद्रों पर ही निर्भर होना पड़ेगा। परंतु वर्तमान में समुद्री प्रदूषण एक गहन समस्या बन चुका है। कार्बन-डाईआक्साईड और अन्य खतरनाक विषैले अपशिष्टों के लगातार समुद्री जल को बुरी तरह प्रदूषित कर रहे है। जिससे अनेकों पर्यावरणीय समस्याएं बढ़ रही है। आगे डॉ. द्विवेदी ने अपने व्याख्यान में विशेष रूप से बताया कि ज्वालामुखी विस्फोट, प्राकृतिक अपरदिक विक्षेप, औद्योगिक अपशिष्ट, जलपरिवहन दौरान तेल रिसाव, दुर्घटनाएं, रेडियो सक्रिय पदार्थो और परमाणु विस्फोट के साथ महासागरों में लगातार महानगरों के वाहित मलमूत्र एवं कचरों से समुद्री तल में एक अनुमान के अनुसार अब तक 525 अरब टन कचरा पहुंच चुका है, जिससे समुद्रों के प्राकृतिक स्वरूप पर भारी संकट खड़ा हो गया है। अत्यंत आवश्यक हो गया है कि समुद्री प्रदूषण पर नियंत्रण करना होगा ही। इसके लिए समुद्रों में तेल रिसाव और परमाणु परीक्षणों को प्राथमिकता से रोकना होगा, औद्योगिक अपशिष्ट और भारी मात्रा में दिन-प्रतिदिन बहाए जाने वाले नगरीय ठोस अपशिष्ट, प्लास्टिक, मल-मूत्र, जैविक कचरों पर नियंत्रण रखने के  ठोस उपाय करने होंगे। सागरीय तटों को सुंदर-स्वच्छ रखने वाले मैंग्रुव वनों को बचाना ही होगा तभी हम समुद्री प्रदूषण और बढ़ते जल संकट से मानवीय सभ्यता की रक्षा कर सकेंगे। वास्तव में भविष्य के अनमोल संसाधन-भंडार समुद्री ही है इन्हें बचाना ही होगा।

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