प्रोफेसर पुत्र के संदिग्ध मौत की जांच के लिए पिता ने लगाई मानवाधिकार से गुहार, पुलिस जांच पर भरोसा नहीं, करंट से मौत नहीं मान रहे, जताई हत्या की आशंका
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राजनांदगांव 22 अगस्त 2022

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मृतक प्रोफेसर एस कुमार गौर

दल्लीराजहरा से महज 4 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम बिटाल निवासी बिसाल राम गौर ने अपने प्रोफेसर पुत्र की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की जांच के लिए मानवाधिकार एवं अपराध नियंत्रण ब्यूरो से मदद मांगी है। क्योंकि तीन माह बाद भी राजनांदगांव पुलिस छुरिया महाविद्यालय में पदस्थ प्रोफेसर एस कुमार गौर उम्र 42 वर्ष की संदिग्ध अवस्था में मौत किराये के मकान डोंगरगांव में हुई थी,जिसकी जांच अबतक नही कर पाई है। जिसमे बहुत सारे खुलासे पिता ने अपने पत्र में किये हैं। पिता ने मीडिया को बताया कि अपने पुत्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होना एक पिता के लिये बहुत मुश्किल और दुःखद समय होता है। अपने पुत्र की मृत्यु की जाँच के लिए वह किसी भी हद को पार करने के लिए तैयार है। और हो भी क्यों न प्रोफेसर एस कुमार गौर की किसी से न तो जाति दुश्मनी थी और न ही किसी से शिकायत लेकिन जिस प्रकार उनकी मृत्यु हुई है वह संदेह के घेरे में हैं।

संदिग्ध मौत से आखिर कब उठेगा पर्दा ?

राजनांदगांव जिले के शासकीय रानी सूर्यमुखी देवी महाविद्यालय छुरिया में पदस्थ प्रोफेसर एस कुमार गौर की संदिग्ध मौत डोंगरगांव के एक किराये के मकान में तीन माह पूर्व हुई थी। पीएम रिपोर्ट में संदिग्ध मौत का कारण कूलर में करेंट लगने से होना बताया गया। जबकि मृतक के परिजनों ने कहा कूलर में कोई करेंट नही है तो करेंट से कैसे मौत हो सकती है? परिजनों ने हत्या की आशंका जताई है

क्या है पूरा मामला

प्रोफेसर एस कुमार गौर 22 मई 2022 को डोंगरगांव पुराना बस स्टैंड के समीप एक किराये के मकान में रहते थे लेकिन उनके साला के बार बार कॉल करने पर कॉल नही उठाया गया। फिर दिनांक 23 मई दिन सोमवार को प्रोफेसर छुरिया कॉलेज नही पहुँचे तो छुरिया के कर्मचारियों द्वारा भी कॉल किया गया लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला। फिर उनके साला ने भी छुरिया कॉलेज में फोन कर अपने जीजा की जानकारी ली लेकिन वह कॉलेज नही पहुँचा था। फिर प्रोफेसर का साला डोंगरगांव किराये रूम पहुँचकर देखा तो उनका जीजा संदिग्ध परिस्थितियों में मृत पाया गया और कमरे में खून फैला था। फिर तुरंत इसकी जानकारी पुलिस को दी। पुलिस द्वारा शव को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया जहां शाम हो जाने के कारण पोस्टमार्टम नही हुआ। फिर अगले दिन पोस्टमार्टम की जांच हेतु डोंगरगांव बीएमओ द्वारा जांच किया गया जिसमे लाश विक्षतहोने के कारण फॉरेंसिक जांच हेतु शव को राजनांदगांव रिफर कर दिया गया। लेकिन आज तीन माह बीत जाने के बाद भी प्रोफेसर की मौत वास्तव में करेंट से हुई है या हत्या की गई है? प्रोफेसर की संदिग्ध मौत के पीछे तो सवाल बहुत है ? लेकिन ये साबित करने में डोंगरगांव पुलिस अबतक नाकाम साबित हुई है। अभी भी डोंगरगांव थाना प्रभारी कह रहे कि प्रोफेसर की मौत कुलर मे करेंट लगने से हुई है

मृतक के पिता और परिजनों ने कहा कि कूलर में कोई करेंट नही था?

जांच से संतुष्ट नही पुनः जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार अध्यक्ष को लिखा पत्र

वास्तव में एक प्रोफेसर की संदिग्ध मौत बहुत सारे सवाल खड़ा कर रही है ? एक तरफ पुलिस का कहना है कि प्रोफेसर एस कुमार गौर की मौत करेंट से हुई है क्योंकि कूलर चालू था, लेकिन दूसरी तरफ प्रोफेसर के परिजन और पिता का कहना है कि कूलर में कोई करेंट नही था और आज भी करेंट नही है तो कैसे मौत हो सकती है? और प्रोफेसर के पिता ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि मौत के बाद कमरे को किसी भी तरह का सील नही किया गया,साथ ही काल डिटेल,मोबाइल पर्स जैसे कीमती चीजों की जांच नही किया गया। जिससे सच्चाई सबके सामने आ सके। साथ ही प्रोफेसर के पिता ने यह भी आरोप लगाया है कि पूर्णतः जांच किये बगैर कमरे को दो दिन बाद ही खाली करा दिया गया। साथ ही कमरे से पुलिस द्वारा लाश को उठाया गया तो परिवार के कोई भी सदस्य मौजूद नही था और पंचनामा तैयार कर पोस्टमार्टम के लिए मर्चुरी में रखवा दिया गया। इस तरह का आरोप प्रोफेसर के पिता बिसाल राम गौर ने पुलिस पर लगाया है। और प्रशासन से गुहार लगाया है कि उनके बेटे प्रोफेसर एस कुमार गौर की पुनःनिष्पक्ष जांच किया जाए।

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