भिलाई। मरकज सुपेला मस्जिद नूर सुपेला की ओर से इस साल हज पर जाने वाले हुज्जाजे इकराम के लिए तरबीयत (प्रशिक्षण) कार्यशाला रविवार की दोपहर फरीद नगर में रखी गई। जिसमें मुफ्ती मोहम्मद इमरान और मुफ्ती फैयाज ने हज के दौरान करने वाले सभी अरकान को आसान तरीके से समझाया।इस दौरान हज पर जाने वाले लोगों को दोनों मुफ्ती ने बताया कि हैसियत वालों पर जिंदगी में एक बार हज फ़र्ज़ है। अपने घरवालों पर खर्च करने के बाद इतना धन हो जब अल्लाह जब मौका दे तो जाए कोई हर्ज नहीं है। उलेमा ने हज पर जाने वालों को कहा कि अपना दिल हर एक से साफ करके जाएं। किसी से पहले कभी कहा सुनी हुई है तो माफी तलाफी कर लें। जहां जा रहे वो अल्लाह का दुनिया में घर है पाक साफ ओर हर किस्म की बदगुमान से दिल भी साफ रहें। हज करने वाला काबा शरीफ का तवाफ करने के बाद ऐसा होता है जैसे उसकी मां ने आज ही जन्म दिया है, यानी उसके जिम्मे कोई गुनाह बाकी नहीं रहता है। उलेमा ने बताया कि हज सीख कर करना बहुत अच्छा है जिससे हर अरकान आसानी से हो सकता है। उलेमाओं ने कहा कि हज पर जाने वाले बहुत मुबारक लोग हैं। वहां हज़रत इब्राहिम-इस्माइल अलैहिस्सलाम की सुन्नत कुर्बानी अदा करना है। मदीने की हाजिरी पर दरूद व सलाम हर वक्त ज़ुबान पर जारी रखें। हजरत मोहम्मद सल्लाहो अलैहि वसल्लम के रोजे मुबारक पर हाजिरी पर सलाम पेश करें। हर वक्त पूरी इंसानियत की हिदायत की दुआ करें। उलेमा ने उमरा और हज के तरीके मसाइल और सुन्नत और वाजिबात से कुरआन ओर हदीस की रोशनी में बताए। इसमें उन्होंने एहराम बांधने का तरीका समझाया। दोनों मुफ्ती ने बताया कि हज की किस्म और हज के तीन फर्ज है। जिसमें एहराम, नीयत, तलबियाह, दो वुकुफे अरफा तीन तवाफे जियारत हज में छह वाजिब है। इसी तरह मुजदलफा की हाजिरी, तीनों शैतानों को कंकरी मारना, कुर्बानी, हलक कराना, हज की सई करना और तवायफें विदा भी इसमें शामिल हैं। उलेमा ने हज पर जाने वाले से कहा कि जब आप हज से वापस आएंगे तो आपकी जिंदगी में अब अल्लाह का डर के साथ हज़रत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम वाली पाकीजा जिंदगी अपनाना और उसके मुताबिक जिंदगी गुजारने और लोगों के साथ हमदर्दी सिला रहमी और मददगार साबित होना चाहिए।इस दौरान मस्जिद नूर सुपेला के हाजी नईम अहम, हाजी नैय्यर इकबाल और हाजी अब्दुल हमीद ने बताया कि हर साल हज पर जाने वालों के तरबीयत प्रोग्राम में आयोजित किया जाता है ताकि लोगों को हज आसान हो सके और सीखकर करें। आखिर में दुर्ग भिलाई से हज पर जाने वालों को हाजी हमीद की लिखी हिंदी की किताब रहनुमा ए हज नि:शुल्क दी गई। आखिर में मुल्क में अमन चैन खुशहाली और तरक्की की दुआएं की गई। इस दौरान सैय्यद असलम, हाफिज नसीम, हाफिज अब्दुल मतीन,फैजी पटेल, सुलेमान, अब्दुल जमील, अब्दुल समद, वसीम अहमद सहित हज पर जाने वाले लगभग 60 आजमीने हुज्जाजे इकराम मौजूद थे।
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