डेंगू-मलेरिया के लिए सरकारी लैब की पाॅजिटिव रिपोर्ट ही मान्य, प्राइवेट की नहीं

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 2 जूलाई 2022

प्रदेश में डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नया प्रोटोकाॅल लागू कर दिया है। पिछले साल शासन के पास काफी शिकायतें आई थीं कि जिन मरीजों को डेंगू नहीं था, उन्हें भी पाजिटिव बनाकर निजी अस्पतालों ने एक हफ्ते से 10 दिन तक अस्पताल में भर्ती रखा और 5-5 लाख रुपए के बिन बने। इस वजह से शासन ने तय किया है कि किसी मरीज की निजी अस्पताल, क्लीनिक या लैब में डेंगू की जांच के बाद सैंपल राजधानी रायपुर में डॉ. अंबेडकर अस्पताल या हमर लैब जैसी सरकारी प्रयोगशालाओं में जरूरी होगी।

वहां रिपोर्ट पाॅजिटिव आई, तभी मरीज को डेंगू से पीड़ित माना जाएगा। प्रदेश में जनवरी से अब तक डेंगू के 111 मरीज मिले हैं और यह संख्या कम है। दरअसल पिछले साल निजी अस्पतालों, क्लीनिक और लैब ने डेंगू की जांच में गड़बड़ियों की शिकायतें मिली थीं, और राजधानी में इसी वजह से डेंगू मरीजों की संख्या काफी अधिक हो गई थी। इसलिए स्वास्थ्य विभाग इस बार एहतियात बरत रहा है। नए प्रोटोकाॅल के अनुसार किसी भी अस्पताल, क्लीनिक या लैब में आरडी किट से डेंगू जांच के बाद 24 घंटे के अंदर एलाइजा जांच के लिए सैंपल मलेरिया विभाग भेजना अनिवार्य होगा।

यहां पॉजिटिव आने पर ही डेंगू पेशेंट माना जाएगा। दरअसल प्रदेश की खूबचंद बघेल योजना या आयुष्मान भारत योजना के तहत पिछले साल निजी अस्पताल या क्लीनिक ने कई ऐसे मरीजों का डेंगू बताकर इलाज किया, जिनकी एलाइजा रिपोर्ट में डेंगू नहीं निकला। इन मामलों में स्वास्थ्य विभाग ने कुछ अस्पतालों और लैब पर कार्रवाई भी की थी।

छत्तीसगढ़ में हर रविवार सुबह 10 बजे से 10 मिनट के लिए होगी डेंगू की सफाई

डेंगू-मलेरिया रोकथाम के लिए जो नया प्रोटोकॉल बनाया जा रहा है, उसमें अब सप्ताह के एक दिन घरों के अलावा सरकारी दफ्तरों में भी जमे हुए पानी की सफाई की जाएगी। इसके लिए इसी हफ्ते से अभियान शुरू किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग इसी हफ्ते से दिल्ली की तर्ज पर हर रविवार को सुबह 10 बजे से दस मिनट तक जमे हुए पानी की सफाई का अभियान शुरू कर रहा है। हाल में केरल की टीम छत्तीसगढ़ आई थी।

उसने टिप दी कि सरकारी दफ्तरों में भी कूलर, गमले, बगीचे आदि में पानी जमा होता है। इनमें डेंगू फैलाने वाला लार्वा पनपता है। डेंगू का मच्छर दिन में काटता है और दफ्तर भी दिन में लगते हैं, इसलिए वहां भी डेंगू फैलने की आशंका अधिक रहती है। इस सुझाव को इस बार प्रोटोकॉल में शामिल किया गया है। जिन दफ्तरों में डेंगू का लार्वा मिलेगा, वहां सख्त एक्शन को लेकर भी नियम बनाने पर विचार किया जा रहा है।

डेंगू-मलेरिया दो साल में

वर्ष 2021

मलेरिया - 1025 डेंगू - 10348

वर्ष 2022

मलेरिया - 111 डेंगू - 9021

डेंगू-मलेरिया के लिए भी पोर्टल
स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल कोरोना के दौर में डेंगू-मलेरिया और दूसरी फैलने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए वेब पोर्टल के जरिए मरीजों को ट्रेस करने का सिस्टम बनाया था। पोर्टल पर आम लोग भी इन बीमारियों के संदिग्धों की जानकारी दे सकते हैं। प्रचार नहीं होने के कारण पिछले साल इस पोर्टल पर आम लोगों से कम सूचनाएं मिलीं।

इस बार जिलों को कहा गया है कि मरीजों के बारे में सूचना और ट्रेसिंग के लिए इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें।   ऐहतियात के तौर पर रायपुर में डेंगू मरीजों के इलाज के लिए जिला अस्पताल, आयुर्वेदिक अस्पताल में फिलहाल 40 बिस्तरों के वार्ड की व्यवस्था भी की गई है।

एलाइजा जांच से ही होगी पुष्टि
डेंगू-मलेरिया को लेकर सभी जिलों को अलर्ट जारी किया गया है। जिले पहले से ही, जांच-इलाज और रोकथाम की तैयारी रखें, इसके लिए निर्देश जारी किए हैं। एलाइजा जांच के आधार पर ही डेंगू मरीजों की पुष्टि होगी।