बालोद :- भारत निर्वाचन आयोग, नई दिल्ली के आदेशानुसार छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा, दल्लीराजहरा, जिला बालोद को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। अपर कलेक्टर एवं उप जिला निर्वाचन अधिकारी चंद्रकांत कौशिक ने बताया कि जारी नोटिस के अनुसार भारत के व्यक्तिगत नागरिकों के किसी संघ, निकाय का राजनीतिक दल के रूप में पंजीकरण, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों द्वारा शासित होता है। उक्त धारा 29ए के तहत चुनाव आयोग के साथ राजनीतिक दल के रूप में किसी मंच के पंजीकरण का उद्देश्य उसी धारा में बताया गया है, अर्थात जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रयोजनों के लिए उस भाग के प्रावधानों का लाभ उठाना, जिसका अर्थ है उक्त अधिनियम के तहत आयोग द्वारा आयोजित चुनावों में भागीदारी। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा उक्त धारा के तहत पार्टी द्वारा किए गए आवेदन पर उक्त धारा 29ए के तहत एक राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत किया गया था, उक्त राजनीतिक दल का वर्तमान पता ज्ञात नहीं है। आयोग के अभिलेखों के अनुसार उक्त पार्टी ने वर्ष 2019 से पिछले 06 वर्षों में लोकसभा या किसी राज्य विधानसभा या उप-चुनाव में किसी भी चुनाव में कोई उम्मीद्वारा खड़ा नहीं किया है। उपरोक्त के मद्देनजर यह स्वतः स्पष्ट है कि उक्त पार्टी ने उपरोक्त धारा 29ए के प्रयोजनों के लिए एक राजनीतिक पार्टी के रूप में कार्य करना बंद कर दिया है। उक्त परिस्थितियों में आयोग भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए पंजीकृत दलों की सूची से राजनीतिक पार्टी ’छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा’ को हटाने का प्रस्ताव करता है। प्रस्तावित कार्यवाही करने से पहले आयोग ने पार्टी को एक अभ्यावेदन, कारण बताने का अवसर प्रदान करने का निर्णय लिया है, यदि कोई हो, कि प्रस्तावित कार्यवाही क्यों न की जाए, अब इसलिए राजनीतिक दल ’छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा’ से अनुरोध है कि यदि वह चाहे तो इस संबंध में अधोहस्तारकर्ता को लिखित अभ्यावेदन दें। अभ्यावेदन यदि कोई हो के साथ दल के अध्यक्ष या महासचिव का हलफनामा तथा सभी सहायक दस्तावेज संलग्न होने चाहिए, जिन पद दल भरोसा करना चाहता है तथा अधोहस्ताक्षरकर्ता के पास 11 जुलाई 2025 तक पहुंच जाने चाहिए। यह भी कहा गया है दल के लिए सुनवाई की तारीख 11 जुलाई 2025 निर्धारित की गई है। ऐसी सुनवाई में दल के अध्यक्ष, महासचिव, प्रमुख का उपस्थित होना अनिवार्य है। यदि उक्त तिथि तक दल से कोई उत्तर प्राप्त नहीं होता है, तो यह माना जाएगा कि दल के पास इस मामले में कहने के लिए कुछ नहीं है तथा आयोग दल को किसी अन्य संदर्भ के बिना उचित आदेश पारित करेगा।