रायपुर : छत्तीसगढ़ में नगरी निकाय चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है. संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीखों का भी ऐलान कर देगा. इसे ध्यान में रखते हुए राजनीतिक हलचल भी बढञ गई है. जहां एक ओर कांग्रेस के नेता दिल्ली तक दौड़ लगा रहे हैं तो दूसरी ओर भाजपा ने भी प्रदेश में तैयारी तेज कर दी है. निकाय चुनाव कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है. वहीं, दूसरी ओर भाजपा को हार का डर सता रहा है.14 नगरीय निकायों पर कांग्रेस लगा रही जोर : कांग्रेस की बात की जाए तो पहले हुए नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा. प्रदेश की 14 नगरी निकायों में कांग्रेस का कब्जा था. सभी जगह कांग्रेस के महापौर रहे. ऐसे में इस चुनाव में जीत हासिल करना कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. वर्तमान में प्रदेश में भाजपा की सरकार है. यही वजह है कि कांग्रेस पूरा जोर लगाकर इन सीटों को बचाना चाहती है. लेकिन नगरी निकाय चुनाव को लेकर पार्टी स्तर पर कोई खास तैयारी नजर नहीं आ रही. उल्टा पार्टी के नेताओं को दिल्ली तलब किया जा रहा है. हालांकि, कांग्रेस का दावा है कि वह चुनाव के लिए तैयार है. कांग्रेस चुनाव के लिए तैयार है. बैठकों का दौर जारी है. जिस तरह की तैयारी करनी है, उसके लिए पार्टी काम कर रही है. हम किसी भी तरह से पीछे नहीं है. पिछले 1 साल के भाजपा कार्यकाल के बाद जनता को भी लगने लगा है कि उन्होंने भाजपा को जिताकर बड़ी भूल की है. क्योंकि भाजपा उनकी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है. हत्या, बलात्कार, भ्रष्टाचार सब बड़े पैमाने पर हुआ है. राजधानी रायपुर में गोली कांड हो चुका है. भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने पर पत्रकार की हत्या तक कर दी गई है. यही वजह है कि प्रदेश में भाजपा सरकार के खिलाफ जबरदस्त माहौल है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा : सुशील आनंद शुक्ला, प्रदेश अध्यक्ष, मीडिया विभाग कांग्रेस भाजपा को सता रहा हार का डर : वर्तमान में भाजपा के पास छत्तीसगढ़ के 14 नगर निगम में से एक भी नहीं है. यही वजह है कि भाजपा को नगरी निकाय चुनाव का डर सता रहा है. डबल इंजन की सरकार होने के बाद भी यदि नगरी निकाय चुनाव में बेहतर परिणाम नहीं मिले तो भाजपा की छवि खराब होगी. वहीं, इसका खामियाजा पार्टी नेतृत्व या फिर बड़े नेताओं को उठाना पड़ सकता है. यही वजह है की भाजपा ने नगरी निकाय चुनाव को लेकर तैयारी तेज कर दी है और रणनीतियां बना रही है. कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं उचित शर्मा का यह भी कहना है कि नगरी निकाय चुनाव में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता पक्ष को ही ज्यादा फायदा मिलता है. क्योंकि वर्तमान में प्रदेश की सत्ता पर भाजपा काबिज है. स्वाभाविक है कि उसे लाभ मिल सकता है. लेकिन ऐसा हो, यह भी जरूरी नहीं है. वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए लग रहा है कि भाजपा निकाय चुनाव की तैयारी में कांग्रेस से एक कदम आगे है. कांग्रेस की बात की जाए तो वर्तमान स्थिति को देखकर लग नहीं रहा कि पार्टी में सब कुछ बेहतर चल रहा है.