अहिल्याबाई भारतीय संस्कृति की मूर्तिमान प्रतीक थीं- दिलेश्वर उमरे...

त्वरित ख़बरें -निशा विशवास ब्योरों प्रमुख

दुर्ग ब्लाक  मे अहिल्या बाई होल्कर समिति के द्वारा  पुण्य श्लोक लोकमाता  अहिल्या बाई होल्कर  की 300 वी  जयंती पर  चिखली, खपरी और सिरसा के  हायर सेकेण्डरी स्कूल मे विचार संगोष्ठी  सम्पन्न हुआ जिसमे वक्ता के रूप मे दिलेश्वर उमरे  अहिल्या बाई होलकर समिति के संरक्षक रहे उन्होंने ग्राम खपरी मे छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा की  अहिल्याबाई भारतीय संस्कृति की मूर्तिमान प्रतीक थीं। कितने आपत्ति के प्रसंग तथा कसौटियों के प्रसंग उस तेजस्विनी पर आए, लेकिन उन सबका बड़े धैर्य से मुकाबला कर धर्म संभालते हुए उन्होंने राज्य का संसार सुरक्षित रखा, यह उनकी विशेषता थी। उन्होंने भारतीय संस्कृति की परम्पराएं सबके सामने रखीं। भारतीय संस्कृति जब तक जाग्रत है, तब तक अहिल्याबाई के चरित्र से ही हमें प्रेरणा मिलती रहेगी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने पति और ससुर की मृत्यु हो जाने पर उनकी स्मृति में इंदौर राज्य तथा अन्य राज्यों में विधवाओं, अनाथो, अपंग लोगों के लिए आश्रम बनवाएं। अहिल्याबाई होल्कर ने ही कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक अनेक मंदिर, घाट, तालाब, दान संस्थाएं, भोजनालय, धर्मशालाएं, बावरिया इत्यादि का निर्माण करवाया।अध्यक्ष रश्मि राजपुत  उपाध्यक्ष हेमलता सिंह निकश साहू सदस्य सपना शर्मा सदस्य भी उपस्थित रहे